वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय 1930 में स्थापित चिमनी का कायाकल्प करने जा रहा है. इस चिमनी में कभी बिजली बनती थी, जो आधे शहर को रोशन करती थी. हालांकि 1985 में यह चिमनी टूट गई थी. इसे दोबारा शुरू करने के लिए चेन्नई से नई चिमनी का ढांचा मंगाया गया है.
सालों से टूटी पड़ी चिमनी का होगा कायाकल्प, दिखेगी अतीत की झलक
1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी, इसके लिए आईआईटी बीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है. इसलिए उसी समय स्थापित की गई चिमनी का निर्माण भी फिर से कराया जा रहा है.
1916 में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. इसे मदन मोहन मालवीय की बगिया के नाम से भी जाना जाता है. 1920 में बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की गई थी, इसके लिए आईआईटी बीएचयू शताब्दी समारोह मना रहा है. इसलिए उसी समय स्थापित की गई चिमनी का निर्माण भी फिर से कराया जा रहा है.
बनारस एलुमनाई एसोसिएशन के चेयरमैन प्रोफेसर राम जी अग्रवाल ने बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के पीछे 1930 में करीब 30 मीटर ऊंची एक चिमनी स्थापित हुई थी. चिमनी तो 1920 में स्थापित हो गई थी लेकिन 1930 में इसे चालू किया गया था. उन्होंने बताया कि उस समय यह चिमनी आधे शहर को बिजली प्रदान करती थी. साथ ही आईआईटी के छात्र इस पर अध्ययन करते थे और उसमें एक अलार्म होता था, जिससे क्लासेस के शुरू होने और खत्म होने का समय छात्रों को पता चल जाता था. 1985 में चिमनी के उपर का हिस्सा टूट गया था.