वाराणसी : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए बजट पेश किया. वैश्विक महामारी के दौर में पूरे देश को वित्त मंत्री से बड़ी घोषणा की उम्मीद थी. सरकार ने भी लोगों को निराश नहीं किया, कई सेक्टर में वित्त मंत्री ने खजाना खोल दिया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने ETV भारत से खास बातचीत करते हुए बजट पर चर्चा की.
ETV भारत से बातचीत में मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि किसान, बेरोजगार, युवा आदिवासी जनजाति के लोग वैश्विक महामारी के दौर में पढ़ने से वंचित रह गए हैं. यह बजट इनके लिए संजीवनी है. शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने इन लोगों के लिए पहल की है. एकलव्य विद्यालय खोलने की पहल अच्छी है. अनुसूचित जनजाति के छात्र शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे. उसके साथ ही कश्मीर में 370 हटाने के बाद कश्मीर और लद्दाख को जोड़ने की एक अलग पेशकश हुई है. लता को सेंट्रल यूनिवर्सिटी की पेशकश की है, यह भी स्वागत योग्य है. कुल मिलाकर समावेशी बजट है, संतोषजनक है.
किसानों के हित में कुछ नया कार्य नहीं
बीएचयू के शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि लगता नहीं कि देश के किसानों के हित में कुछ नया कार्य किया गया है. 2020-2021 में किसान की आय दुगनी करने की घोषणा की गई थी. इस बार उसी को आगे किया गया है. कोविड-19 काल में देश आर्थिक, सामाजिक हर रूप से अस्वस्थ हुआ. भारत के बजट में शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाएगा. किसानों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तो यह हास्यस्पद होगा. स्वच्छ भारत, कुशल भारत की परिकल्पना तभी साकार होगी, जब देश का किसान खुशहाल होगा. किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. इस बजट को 10 में से 8 नंबर दिए गए हैं.