वाराणसी: सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय में विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. सोमवार से बीएचयू के अधीन सभी कॉलेजों में लॉटरी सिस्टम से दाखिला हो रहा है. हालांकि एडमिशन का छात्रों ने विरोध किया है. संगीत एवं मंच कला संकाय के शास्त्र विभाग से संस्कृत प्रोफेसर का पद हटाए जाने से नाराज छात्रों ने राष्ट्रपति एवं बीएचयू के कुलाधिपति से लिखित शिकायत की है और विश्वविद्यालय प्रशासन पर मनमानी करने का गंभीर आरोप लगाया है.
संगीत की नीव 'संस्कृत' को महामना के निर्देशन पर पंडित ओंकारनाथ ठाकुर, जिन्होंने विश्वविद्यालय के कुल गीत को राग बंद किया. उन्हीं के द्वारा स्थापित संगीत व मंच कला संकाय में विशेष रुप से संगीत शास्त्र विभाग की आधारशिला रखी गई. उसमें गुणवत्तापूर्ण संगीत शिक्षा हेतु संस्कृत शिक्षक भी नियुक्त किए गए ताकि विश्वविद्यालय में कला के साथ शास्त्र में भी छात्र निपुण हो सकें और संगीत के सभी ग्रंथ की शिक्षा ग्रहण कर सकें और संगीत सीख सकें.
दरअसल अधिकतर ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं, जिससे हिंदुस्तानी व कर्नाटक संगीत को संपूर्ण विश्व में एक अलग पहचान मिली है. संस्कृत हमारी देववाणी है. यही वजह है कि संगीत की आधारशिला संस्कृत है. संस्कृत के बिना संगीत का ज्ञान असंभव है. बीएचयू के इस संकाय से निकले छात्रों ने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी संगीत के सभी विधाओं में अपना परचम लहराया है.
बनारस घराने से लेकर तमाम घरानों के संगीत प्रेमियों ने यहां से शिक्षा ग्रहण की है. ऐसे में छात्रों का यह मानना है कि संस्कृत प्रोफेसर का पद समाप्त होने से संगीत की शिक्षा अधूरी रह जाएगी और महामना का सपना पूर्ण नहीं हो पाएगा. बीएचयू के शोध छात्र जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि संगीत एवं मंच कला संकाय के शास्त्र विभाग से संस्कृत का पद खत्म किया गया. इसके साथ ही प्रोफेसर के भी पद को समाप्त कर दिया गया.
छात्रों ने कहा कि इसकी शिकायत हम लोगों ने बीएचयू के कुलपति समेत तमाम उच्च अधिकारियों को की, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी अब तक कोई कार्यवाई नहीं हुई. इसलिए हम लोगों ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से लिखित शिकायत राष्ट्रपति, कुलाधिपति गिरधर मालवीय, शिक्षा मंत्रालय कला एवं संस्कृति से की है.