वाराणासी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र प्रवेश परीक्षाएं निरस्त करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि दुनिया भर में कोविड 19 महामारी की वजह से शिक्षण संस्थान बन्द हैं. भारत में भी IIT जैसे संस्थानों ने दिसम्बर तक नियमित कक्षाएं टाल दी हैं. नए सत्र की परीक्षा अभी भी लम्बित है. ऐसे में बीएचयू परीक्षा कराकर छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
छात्रों का कहना है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रवेश परीक्षा कराने की जल्दबाजी तर्कसंगत नहीं है. देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 24 लाख तक पहुंच गयी है. 40 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई है. रोजाना लगभग 65000 नए केस आ रहे हैं. ऐसी स्थिति में प्रवेश परीक्षा करा लेने के बाद भी जब अगले कुछ महीने किसी भी सूरत में नियमित कक्षाएं चलनी सम्भव नहीं हैं तो प्रशासन की ये बेचैनी समझ के बाहर है. विश्वविद्यालय प्रशासन लाखों परीक्षार्थियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है.
छात्रों का कहना है कि महामारी के कारण कई राज्यों ने लॉकडाउन 31 अगस्त तक बढ़ा दिया है. रेल-बस की अनियमित संचालन यात्रा को प्रभावित कर रहा है. बिहार, असम समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश में बाढ़ महामारी के साथ-साथ दोहरी आपदा बन आयी है. बाढ़ से प्रभावित करोड़ों लोग हैं, जिसमें परीक्षार्थी भी शामिल हैं. जीवन यापन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोग पलायन को मजबूर हैं. ऐसे में सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा महामारी के दौरान परीक्षा लेना परीक्षार्थियों का शारीरिक-मानसिक शोषण है.
दरअसल, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की प्रवेश परीक्षा की तारीख आने के साथ ही लगातार छात्र ट्विटर और सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में छात्र सत्याग्रह पर बैठकर लंबी लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. बीएचयू के छात्र और जॉइंट एक्शन कमेटी के सदस्य नीरज राय ने बताया कि ऐसी परिस्थिति में विश्वविद्यालय प्रशासन हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रहा है. इसी को लेकर छात्र सोशल डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुये अधिष्ठाता भवन (DSW, BHU) में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं.