वाराणसी: मानसिक तनाव यानी टेंशन हमारी सेहत पर बुरा असर डालता है. सेहत के साथ पुरुषाें की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. यानी टेंशन के कारण पिता बनने की क्षमता कम हो सकती है. ये हम नहीं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग के एक शोध में पता चला है. BHU के जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राघव मिश्रा और रिसर्च स्कॉलर अनुपम यादव ने यह शोध चूहों पर किया है. दोनों शोधकर्ताओं ने चूहों को तीन ग्रुप में बांटकर एक महीने तक स्टडी की.
तीन ग्रुप में ऱखे गए थे चूहे
शोध के दौरान चूहों को तीन समूह में रखा गया. पहला ग्रुप सामान्य वातावरण के चूहों का, दूसरा जिन्हें स्ट्रेस यानी तनाव दिया गाया और तीसरा ग्रुप उन चूहों का था जिन्हें कम स्ट्रेस दिया गया. इन चूहों को एक छोटी बोतल जैसे फ्लाक्स में रखा गया. इससे उनके उछलने कूदने का वातावरण बदला. इन चूहों को पूरे महीने 60-70 घंटे तक इस फ्लाक्स में रखा गया था. चूहों को तीस दिन तक तनाव से गुजारा गया.
स्ट्रेस से चूहों में दिखा हार्मोनल बदलाव
एक निश्चित समय पूरा होने के बाद चूहों की स्पर्म क्वालिटी चेक की गई. इनमें शुक्राणुओं की संख्या घटकर 8-10 मिलियन प्रति डेढ़ एमएल रिकॉर्ड की गई. जबकि सामान्य तौर पर यह स्तर 15-20 मिलियन होना चाहिए. शोधकर्ताओं की जांच में यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस ने चूहों में क्रमिक रूप से हार्मोनल बदलाव भी किए हैं. इसके साथ ही शुक्राणुओं की गुणवत्ता में 40 फीसदी कमी पाई गई है.
आखिर चूहों पर ही शोध क्यों?
वैज्ञानिकों का कहना है कि चूहों पर हुआ रिसर्च मॉडल इंसानों पर हुबहू लागू होता है. इंसानों में स्पर्म काउंट 39 मिलियन से भी अधिक होना चाहिए. स्ट्रेस से हुए बदलाव का असर न केवल प्रजनन क्षमता पर पड़ता है बल्कि संतान या आने वाली पूरी पीढ़ी के गुणों पर इसका असर पड़ता है. यह भी माना जाता है कि यह पूरी पीढ़ी को ही अस्वस्थ कर सकता है.