वाराणसी: वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय की जीव विज्ञान विभाग विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने एक अनोखी खोज की है. आदिकाल से पुरुष अपनी यौन शक्ति को लेकर चिंतित रहा है. पुरुष यौन शक्ति एक जटिल न्यूरोएंडोक्राइन प्रक्रिया है और पुरुषत्व का एक महत्वपूर्ण घटक भी है. हालांकि, कई अज्ञात कारक पुरुष नपुंसकता के लगभग 50% मामलों के लिए जिम्मेदार हैं. विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि हाल के वर्षों में बदली जीवन शैली, मनोवैज्ञानिक तनाव, पोषण/आहार और चयापचय संबंधी विकार नपुंसकता के विकास में अहम योगदान देते हैं. मनोवैज्ञानिक तनाव और नपुंसकता के बीच संबंधों पर वर्षों से बहस चल रही है. इसको लेकर दुनिया भर में कई अध्ययन किए जा रहे हैं.
इस संबंध में बीएचयू के शोधकर्ताओं ने एक दिलचस्प खोज की है. डॉ. राघव कुमार मिश्रा, जीव विज्ञान विभाग, विज्ञान संस्थान और अनुपम यादव, जो उनके मार्गदर्शन में पीएचडी कर रहे हैं, इन्होंने सब-क्रोनिक मनोवैज्ञानिक तनाव और पुरुष यौन शक्ति तथा पिनाइल इरेक्शन के शरीर विज्ञान पर इसके प्रभाव
का अध्ययन करने के लिए एक शोध किया है. चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि मनोवैज्ञानिक तनाव से ग्रस्त वयस्क चूहों में ऐसे लक्षण विकसित हुए जो पुरुष यौन क्षमता और स्तंभन दोष पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
शोध दल ने चूहों को 30 दिन की अवधि के लिए हर दिन 1.5 से 3 घंटे के लिए सब-क्रोनिक मनोवैज्ञानिक तनाव दिया और न्यूरोमॉड्यूलेटर्स, हार्मोन और मार्करों को यौन क्षमता और पिनाइल इरेक्शन को मापा. मनोवैज्ञानिक तनाव गोनाडोट्रोपिन के परिसंचरण स्तर को कम करता है, जबकि तनाव हार्मोन (कोर्टिकोस्टेरोन) के स्तर को बढ़ाता है, जो पुरुष हार्मोन (टेस्टोस्टेरोन) पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है.