वाराणसी:काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चा में आ गया है. आए दिन कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिनसे बीएचयू प्रशासन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ताजा मामला भूभौतिकी विभाग का है. यहां के शोध छात्र ने आरोप लगाया है कि सुपरवाइजर उसको मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं. इसके साथ ही उससे घर के काम कराते हैं. छात्र ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. उसमें वह यह भी कह रहा है कि इन सब चीजों से तंग आकर वह आत्महत्या करने जा रहा था.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्रों के आत्महत्या की खबरें बहुत रही हैं. ऐसे में आत्महत्या से जुड़ा एक और मामला आ गया है. हालांकि इस बार छात्र ने बताया है कि वह आत्महत्या करने जा रहा था. लेकिन, उसके दोस्तों ने उसे ऐसा करने से रोक लिया. उसका आरोप है कि वह अपने सुपरवाइजर के कारण यह कदम उठाने वाला था. इसे लेकर छात्र ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें उसने ये सारे आरोप लगाए हैं. वहीं, इस वीडियो के आने के बाद एक बार बीएचयू प्रशासन में हड़कंप मच गया है.
शोध निदेशक पर प्रताड़ित करने का आरोप
बता दें कि शोध छात्र दीपांकर घोष ने सोशल मीडिया पर बुधवार रात 3 मिनट 45 सेकेंड का वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में उसने बताया कि वह भूभौतिकी विभाग का शोध छात्र है. उसके शोध निदेशक उसे प्रताड़ित करते थे, जिसकी वजह से वह डिप्रेशन में चला गया. छात्र ने आरोप लगाया है कि शोध कार्य के दौरान उसे अपशब्द बोले जाते रहे हैं. निदेशक छात्र से अपने घर के निजी कार्य कराते रहे और उसको प्रताड़ित करते रहे. इतना ही नहीं छात्र का आरोप है कि शोध निदेशक उसे जूनियर्स के सामने नीचा दिखाते रहते थे.
बिना नोटिस पीएचडी कैंसिल करने का आरोप
सोशल मीडिया पर शेयर किए हुए वीडियो में दीपांकर ने बताया है कि शोध निदेशक और पूर्व विभागाध्यक्ष ने उसके खिलाफ साजिश रची. इसके साथ ही उसे बिना नोटिस दिए पीएचडी कैंसिल कर दी. उसने बताया कि वह अक्टूबर 2022 तक विभाग में रोज आता था. विभाग में आने के बाद उसको प्रताड़ित करना शुरू कर दिया जाता था. मानसिक रूप से उसे खूब प्रताड़ित किया गया, जिसकी वजह से वह अवसाद में चला गया और बीमार पड़ गया. इसके बाद वापस जब विभाग गया तो बताया गया कि उसकी पीएचडी कैंसिल कर दी गई है.
आत्महत्या करने से दोस्तों ने रोका
छात्र ने आरोप लगाया है कि बिना किसी नोटिस के उसकी पीएचडी कैंसिल कर दी गई थी. इसके बाद उसके पास आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था. दिवाली के बाद वह घर से भागकर आत्महत्या करने जा रहा था. दोस्तों ने उसे समझाकर रोक लिया. दीपांकर ने आरोप लगाया कि शोध निदेशक प्रो. उमाशंकर करिअर चौपट करने की धमकी देने थे. इस बात की शिकायत तत्कालीन विभागाध्यक्ष से की थी. लेकिन, उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. छात्र ने कहा कि अगर शोध निदेशक पर कार्रवाई नहीं की गई तो कई छात्रों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी.
पीएचडी निदेशक ने आरोप का किया खंडन
वहीं इस पूरे मामले में पीएचडी निदेशक प्रो. उमाशंकर का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि शोध छात्र के सारे आरोप निराधार हैं. वह दो महीने तक गायब था. उसे मेल भेजकर सूचित किया गया था. लेकिन, कोई जवाब नहीं दिया. प्रो. उमाशंकर ने बताया कि नियमानुसार दो महीने अनुपस्थित होने के कारण उसका पंजीकरण निरस्त हो गया. वहीं, विभागाध्यक्ष प्रो. जीपी सिंह ने कहा कि उन्होंने मई में कार्यभार ग्रहण किया है. शोध छात्र ने उन्हें इस तरह की कोई शिकायत नहीं दी.
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