वाराणसी :वैश्विक महामारी के दौर में जहां आयुर्वेद मॉडर्न मेडिसिन एवं तमाम वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं कि जल्द से जल्द कोविड-19 मेडिसीन तैयार किया जाए. वहीं स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय की तरफ से कोविड-19 को लेकर आयुर्वेद और योग पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. दूसरी तरफ आयुष मंत्रालय के इस कदम को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर कई सवाल खड़े किए हैं. साथ ही आयुर्वेदिक काढ़ा से जुड़े कई साइंटिफिक एविडेंस और डिटेल भी मांगा है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इसका जवाब पहले ही दिया जा चुका है.
आईएमए द्वारा काढ़ा पर उठाए गए सवाल का बीएचयू के प्रोफेसर ने दिया ये जवाब - बीएचयू
आईएमए द्वारा आयुर्वेदिक काढ़ा पर उठाए गए सवाल पर बीएचयू के प्रोफेसर ने जवाब देते हुए कहा है कि यह वैश्विक महामारी का दौर है. ऐसे में हम सबको एक साथ मिलकर काम करना चाहिए. जहां तक औषधि की बात है, तो ये हमारे देश में हजारों साल पहले से प्रयोग होती आ रही हैं.
इस पूरे मामले पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के प्रोफेसर का मानना है कि यह वैश्विक महामारी का दौर है. ऐसे में सभी को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए. कोई ऐसा वक्तव्य भी नहीं देना चाहिए जिससे लोगों में रोष व क्लेश उत्पन्न हो. आईएमए के सवाल पर प्रोफेसर के एन द्विवेदी ने बताया कि मैं नहीं समझता कि ट्रायल नहीं किया गया यह बात उचित है. आयुष क्वाथ में जो औषधियां हैं वो आज से हजारों वर्ष पहले से हमारे यहां प्रयोग हो रही हैं. इनका प्रयोग ऐसे ही वायरल डिजीज के लिए होता है. जिसका प्रयोजन हजारों साल से हमारे यहां हो रहा है. उसके लिए हम कुछ करें तब प्रयोग करें तब तक बहुत सारी जनता इसके लाभ से वंचित रह जाएगी. उन्होंने कहा कि इस समय जो क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है, वह दिखाने के लिए चल रहा है. उनका कहना था कि आज भी इस कोविड-19 में हमारी औषधियां बहुत ही कारगर हैं. उन्होंने कहा कि वो एक बात साफ कहना चाहते हैं कि किसी के कहने से क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया. प्रयोग किया जा रहा है. लेकिन हमारे औषधियों के गुण और कर्म अलग नहीं हो जाएंगे.
प्रोफेसर द्विवेदी ने आगे बताया कि जो लोग यह बात बोल रहे हैं कि आयुर्वेद और आयुर्वेद की औषधियों से टोटली एग्रोनेट है. उनके अंदर औषधि को लेकर अज्ञानता है. जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं, उनसे मैं कहना चाहूंगा कि यह केवल आयुर्वेद का नहीं बल्कि पूरे देश का अपमान है. आयुर्वेद हमारे देश की चिकित्सा पद्धति है. हमारे भारतवर्ष की चिकित्सा पद्धति है. इसके महत्व को बिना जाने हम ऐसा स्टेटमेंट दे, यह बिल्कुल निंदनीय है. मैं ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता हूं.
डॉ अशोक सोनकर पूर्व डिप्टी सीएमओ ने बताया कि कोरोना महामारी ने हमारे हिंदुस्तान को काफी प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के बारे में एलोपैथ को ऐसी बात ही नहीं बोलनी चाहिए, जिससे किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न हो. एलोपैथिक डॉक्टर लगातार रिसर्च कर रहे हैं कि किस तरह वैश्विक महामारी से छुटकारा मिले. दूसरी तरफ ऐसे में वो लोग खुद पेशेंट को आयुष काढ़ा लेने के लिए कहते हैं. आयुर्वेद और एलोपैथ दोनों ही काढ़ा लेने की बात कह रहे हैं. हमें मिलकर काम करने की आवश्यकता है.