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बीएचयू की उपलब्धि, जीनोडायग्नोसिस से कालाजार सुपर स्पेर्डस की पहचान की - विश्व स्वास्थ संगठन

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. विभाग के डॉक्टरों ने पहली बार जीनोडायग्नोसिस के तकनीकी से कालाजार सुपरस्पेर्डस संक्रमण फैलाने वाले संवाद की पहचान की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से यह शोध 287 लोगों पर किया गया है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय
काशी हिंदू विश्वविद्यालय

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Published : Jan 6, 2021, 9:32 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है. विभाग के प्रोफेसर श्यामसुंदर एवं डॉक्टर ओपी सिंह की टीम ने दुनिया भर में पहली बार जीनोडायग्नोसिस के तकनीकी से कालाजार सुपरस्पेर्डस संक्रमण फैलाने वाले संवाद की पहचान की है. विश्व स्वास्थ संगठन के सहयोग से यह शोध 287 लोगों पर किया गया है, जो 4 जनवरी को ब्रिटेन और अमेरिका में प्रकाशित शोध पत्रिका लैसेट माइक्रोब में छपा है.

शोध का मकसद
अपने रिसर्च के माध्यम से काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने सरकार को बता दिया है कि अगर कालाजार के रोगी आते हैं तो सबसे सुपरस्पेर्डस का उपचार करना जरूरी होगा. इससे संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. रिसर्च भारत में कालाजार के उन्मूलन के कार्य प्रणाली निर्धारित करने में बेहद ही कारगर साबित हो सकता है. डॉक्टर ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि कालाजार के रोकथाम के लिए अभी तक कोई टीका नहीं है, जो दवाइयां है वह भी सीमित है. ऐसे में जरूरी है कि इसके सुपरस्पेर्डस खोज कर वायरस को फैलने से रोका जा सकता है. कालाजार को खत्म करने के लिए वर्ष 2005 में भारत नेपाल और बांग्लादेश के साथ समझौता हुआ था. इसमें पड़ोसी देशों के कारण या उनके खतरे को देखते हुए दो देशों को और जोड़ा गया.

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