वाराणसी:काशी हिंदू विश्वविद्यालय विज्ञान संस्थान द्वारा स्थित हृदय रोग विभाग के विशेषज्ञ एवं चिकित्सक आमजन को स्वस्थ हृदय एवं स्वस्थ जीवन के ध्येय को पूर्ण करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. इसी क्रम में विश्विद्यालय स्थित कार्डियोलॉजी विभाग में एक जटिल एवं मुश्किल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देकर एक मरीज की जान बचाई गई एवं एक बार फिर संस्थान की गुणवत्ता एवं विशेषज्ञता का लोहा मनवा कर विश्वविद्यालय की ख्याति और प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाया गया.
दरअसल, 28 जनवरी को कार्डियोलॉजी विभाग में 35 वर्षीय महिला मरीज को लाया गया. जो कुछ कदम भी बिना सीना और दोनों हाथों में असहाय दर्द के नहीं चल पा रही थी. ये सभी लक्षण महिला में गंभीर हृदय रोग की तरफ इशारा कर रहे थे. महिला कि किसी निजी अस्पताल में इसी वजह से एंजियोग्राफी जांच की गई थी. जिसमें अति गंभीर बीमारी पाई गई थी, जिनका इलाज उनके लिए वहां कर पाना मुश्किल था. अतः मरीज सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में हृदय रोग विभाग आईं.
हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.ओम शंकर ने बताया कि इस मामले में यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि 35 वर्षीय यह महिला न तो तंबाकू का सेवन करती है न ही मधुमेह से पीड़ित है न ही उनके परिवार के किसी सदस्य को हृदय के इस तरह की गंभीर बीमारी की कोई दिक्कत है और न ही उनके खून की नलियों में सूजन होने की कोई वजह दिख रही थी. चिकित्सकों के लिए यह काफी आश्चर्यजनक था.
एंजियोग्राफी जांच में उनके बाएं तरफ की सबसे प्रमुख नस जहां से शुरू होती है. वहीं बिल्कुल चिपककर धागे जैसी हो गई दिख रही थी (पहले चित्र में लाल तीर से दर्शाई गई स्थिति). इस तरह की हृदय की बीमारी को सबसे गंभीर माना जाता है. ऐसे कई मामले अक्सर सामने आते हैं कि इस दशा का सामना करने वाले लोग अचानक चलते-फिरते ही हृदय आघात से असमय मौत के शिकार हो जाते हैं.