उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

वाराणसी : हर साल होती है अनोखी प्रतियोगिता, चोटी बांधकर धोती-कुर्ता में खेला जाता है क्रिकेट - वाराणसी

इन सबसे अलग अंपायरिंग करने वाले लोग भी सिर पर हैट पहनकर अंपायर की भूमिका में तो है, लेकिन इनकी ड्रेस भी पूरी तरह से पंडित जी की तरह है.

क्रिकेट मैच की कमेंट्री हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बल्कि संस्कृत में संपन्न कराई जा रही है.

By

Published : Feb 12, 2019, 3:04 PM IST

वाराणसी: क्रिकेट को जेंटलमैन गेम कहा जाता है. इस जेंटलमैन गेम को खेलने से पहले तमाम नियम और कानून का पालन करना पड़ता है. वाराणसी में ऐसा क्रिकेट मैच हो रहा है जिसमें क्रिकेट के नियमों का पालन किया जा रहा है लेकिन खिलाड़ी जेंटलमैन लुक में नहीं बल्कि पंडित जी के लुक में नजर आ रहे हैं.

चोटी धारी बटुक धोती कुर्ते में जमाते हैं चौका छक्का.

लोग क्रिकेट खेलने मैदान पर उतरते हैं तो पूरी तरह से किट में पहुंचते हैं. टी-शर्ट, लोअर या फिर ट्रैक सूट के अलावा स्पोर्ट शूज, पैड, ग्लब्स क्रिकेट खेलने से पहले प्लेयर्स को पहनने पड़ते हैं. अगर इन सबसे अलग आपसे यह कहा जाए कि धर्म नगरी वाराणसी में कैसा क्रिकेट मैच हो रहा है, जिसमें क्रिकेट के नियमों का पालन किया जा रहा है, लेकिन खिलाड़ी जेंटलमैन लुक में नहीं बल्कि पंडित जी के लुक में नजर आ रहे हैं.

यह अनोखा क्रिकेट मैच संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में हो रहा है. दरअसल, बसंत पंचमी के मौके पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में हर साल का उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें तरह-तरह के खेल आयोजित होते हैं. इस क्रम में आज शास्त्रार्थ महाविद्यालय की तरफ से बटुक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया है. इसकी खास बात यह है की इस टूर्नामेंट में बनारस के अलग-अलग संस्कृत विद्यालय की 5 टीमें हिस्सा ले रही हैं और सभी टीमों में 11-11 खिलाड़ी के साथ एक एक्स्ट्रा प्लेयर भी खेल रहा है.

इन सबसे अलग अंपायरिंग करने वाले लोग भी सिर पर हैट पहनकर अंपायर की भूमिका में तो है, लेकिन इनका ड्रेस भी पूरी तरह से पंडित जी की तरह है. यानी दुपट्टा और धोती. 8-8 ओवर के मैच में नियम पूरी तरह से क्रिकेट के फॉलो हो रहे हैं. चौके-छक्के जमकर लग रहे हैं, लेकिन इन सब के बीच जो प्लेयर खेलने वाले हैं वह बिल्कुल अलग अंदाज में धोती कुर्ता दुपट्टा के साथ लंबी चोटी धारण कर खेल रहे हैं.

क्रिकेट मैच की कमेंट्री हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बल्कि संस्कृत में संपन्न कराई जा रही है, जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ संस्कृत को बढ़ावा देना है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस क्रिकेट टूर्नामेंट में बनारस में विदेश से आकर संस्कृत का ज्ञान लेने वाले लोग भी पहुंचे हुए हैं. इंग्लैंड की रहने वाली लूसी काशी आकर दिव्य प्रभा हो चुकी हैं. उनका कहना है कि धर्मशास्त्र के साथ यह सब चीजें भी आज इन बटुकों के लिए जरूरी है, चीजों का पालन करते हुए इस तरह के आयोजन यह दर्शाते हैं कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्र किसी भी क्षेत्र में जाने के काबिल हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details