वाराणसी:आज एक और संगीत का सूर्य अस्त हो गया. कथक को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने वाले पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज ने आज अंतिम सांस ली. पंडित बिरजू महाराज का भले ही लखनऊ के कालिका-बिन्दादिन घराने से रिश्ता रहा हो, लेकिन धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था. पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया. यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है. कथक सम्राट बिरजू महाराज के आंखों की मुद्रा से राधा-रानी की कलाओं की पेशकश हो या फिर तबले की थाप संग पैरों की जुगलबंदी, इसका जैसा अद्भुत मिलन पंडित जी के नृत्य में देखने को मिलता था, वो खुद में बेहद खास था.
सबसे बड़ी बात यह है कि बिरजू महाराज बनारस घराने से नहीं थे, लेकिन उनका जुड़ाव रिश्तों के तौर पर बनारस घराने से था. उनके भाई का बनारस में तबला सीखना हो या फिर उनकी निजी जिंदगी का जुड़ाव सीधे बनारस से रहा. बिरजू महाराज का ससुराल और समधियाना दोनों बारनस में ही है. हालांकि पंडित बिरजू महाराज अवध घराने से ताल्लुक रखते थे. लेकिन उनका ससुराल और समधियान दोनों ही बनारस संगीत घराने के रूप में उन्हें मिला था.
गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की बेटी अन्नपूर्णा देवी बिरजू महाराज की पत्नी थीं. कबीरचौरा की संगीत घराने वाली गली में पंडित जी का ससुराल है. वहीं, ख्यात सारंगीवादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ बिरजू महाराज जी की बेटी कविता का विवाह हुआ है.