जानकारी देते नगर आयुक्त व सीईओ स्मार्ट सिटी प्रणय सिंह वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 में जब बनारस से सांसद चुने गए तो उसके बाद उन्होंने बनारस के विकास के लिए ऐसा प्लान तैयार किया जिसने बनारस की दशा दिशा दोनों को बदलने का काम किया. बनारस को स्मार्ट सिटी की कतार में खड़े करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पूरे मंत्रिमंडल की ताकत झोंक दीं. जिससे स्मार्ट सिटी के तहत बनारस में विकास की गंगा बहने लगी.
बनारस को स्मार्ट बनाने की कवायद के तहत केंद्र सरकार ने बनारस में एक के बाद एक स्मार्ट सिटी योजना के तहत 48 प्रोजेक्ट लॉन्च किया. इसमें 10 ऐसे प्रोजेक्ट है. जिसने बनारस की छवि को ही बदल कर रख दिया. आने वाले दिनों में भी कई बड़े प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी योजना के तहत पूरे होने वाले हैं. जो निश्चित तौर पर बनारस ही नहीं बल्कि पूर्वांचल और उत्तर प्रदेश में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे. इसमें वाराणसी में तैयार हो रहा मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स स्टेडियम सबसे बड़ा और अहम प्रोजेक्ट है. जो पूर्वांचल के खिलाड़ियों को शहर के अंदर ही वह सारी इंटरनेशनल क्वालिटी की स्पोर्ट्स सुविधाएं उपलब्ध कराएगा.
नगर आयुक्त बनारस स्मार्ट सिटी के सीईओःबनारस स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम इस पूरे मामले की निगरानी करता है. बनारस में स्मार्ट सिटी का एक अलग दफ्तर बनकर तैयार हुआ है. जिसके सीईओ के तौर पर खुद नगर आयुक्त इसकी कमान संभाल रहे हैं. जबकि अन्य अधिकारी व कर्मचारी पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी कर रहे हैं.
बनारस में 2014 तक कोई ऐसा इंटरनेशनल लेवल का स्ट्रक्चर नहीं था, लेकिन समय बदलने के साथ-साथ स्मार्ट सिटी योजना ने बनारस को वह चीजें थी. जिसने बनारस को ही बदल कर रख दिया. बनारस की पहचान अब रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मल्टीलेवल स्मार्ट पार्किंग, बनारस के बेनियाबाग राजनारायण पार्क, नाइट बाजार स्मार्ट गलियों स्मार्ट स्कूल और सबसे महत्वपूर्ण सिटी कमांड सेंटर के रूप में होती है. इन प्रोजेक्ट ने बनारस को वह नई पहचान दी जो बदलते वक्त के साथ जरूरी भी थी.
8 सालों में बदल गई बनारस की रूपरेखाःनगर आयुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ प्रणय सिंह ने बताया कि 2015 जून में स्मार्ट सिटी बनाने की लिस्ट में बनारस को शामिल किया गया था. महज 8 सालों के अंदर बनारस में स्मार्ट सिटी के तहत एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट लांच किए गए. 2018 में स्मार्ट सिटी योजना ने मूर्त रूप लेना शुरू कर दिया.
पहले बनारस छोटे शहरों में शामिल था. लेकिन देखते ही देखते दिल्ली, मुंबई समेत अन्य महानगरों की तरह बनारस एक अलग पहचान के साथ लोगों के सामने आया और आज बनारस में कई ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनके पूरे होने के बाद बनारस को एक नई ऊंचाई मिलेगी, जो पुराने प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं उनमें रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर जापान की मदद से तैयार हुआ और आज पूरे देश में ऐसा कन्वेंशन सेंटर शायद ही कहीं हो.
स्मार्ट सिटी सीईओ ने स्मार्ट सिटी के तहत चल रहे 10 प्रोजेक्ट में ऐसा दम दिखाया कि बनारस 10 के दम के आगे नई पहचान स्थापित करने में कामयाब रहा.
- कैंट रेलवे स्टेशन के बाहर 10 करोड़ की लागत से फ्लाईओवर के नीचे लगभग 2 किलोमीटर के दायरे में नाइट बाजार विकसित किया गया है जो जल्द शुरू होने जा रहा है.
- 146 करोड़ की लागत से बनारस में एक दो नहीं बल्कि 3 मल्टी लेवल पार्किंग तैयार की गई हैं. जिनमें बेनियाबाग, टाउनहाल और मैदागिन पर टू व्हीलर पार्किंग बनारस की एक सबसे बड़ी ट्रैफिक जाम की समस्या के निराकरण के रूप में सामने आई.
- नदेसर तालाब जो हमेशा से कूड़ा कचरा फेंकने का स्थान था. उसके सुंदरीकरण के साथ तीन करो रुपए ने इस पूरे इलाके की छवि को बदल कर रख दिया और इस कचरा फेंकने वाले स्थान को अब स्थानीय लोग अपने जीवन में एक नए हिस्से के रूप में शामिल कर चुके हैं.
- इसके अलावा बनारस के 21 चौराहों को स्टैंडर्ड तरीके से संवारा गया स्ट्रीट लाइट और अन्य सुविधाएं डिवेलप करते हुए सीसी कैमरों से लैस किया गया.
- 70 करोड़ की लागत से स्मार्ट वार्ड का चयन कर 6 वार्ड को पूरी तरह से विकसित करते हुए गलियों के सुंदरीकरण दीवारों पर पेंटिंग का काम करके गलियों को एक नया रूप दिया गया.
- सबसे बड़ा बदलाव शहर में सुरक्षा और सुविधा की दृष्टि से स्मार्ट कंट्रोल रूम के रूप में देखने को मिला.
- 128 करोड़ रुपये की लागत से शहर भर में लगाए गए 720 स्थानों पर दो हजार से ज्यादा सर्विलांस सीसीटीवी कैमरों की निगरानी बड़े-बड़े टीवी स्क्रीन पर की जाती है, जो ना सिर्फ चौराहों पर या शहर में ट्रैफिक जाम की वजह की तलाश करती है, बल्कि अपराध होने पर पुलिस की भी मदद करती है.
- 192 करोड रुपए की लागत से जापान के सहयोग से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर तैयार हुआ. जिसने उत्तर प्रदेश में होने वाले कई बड़े आयोजनों को एक बड़ा स्पॉट उपलब्ध करवाया.
- पहले बनारस की पहचान दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और अस्सी घाट के रूप में होती थी, लेकिन नमो घाट एक नया घाट डेवल किया, जिसने घाटों की एक नई सूरत को लोगों के सामने रखा.
- इसके अलावा 19 करोड रुपए की लागत से राजघाट और महमूरगंज समेत मछोदरी में स्मार्ट स्कूल स्थापित किया गया. जिसने सरकारी स्कूलों को लेकर लोगों की सोच को बदलने का काम किया.
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