वाराणसी:हर वर्ष 28 मई को अंतरराष्ट्रीय महावारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. जिसका मुख्य उद्देश्य महिला व युवतियों को महवारी के विषय में जागरूक करना है. उनकी व समाज की सोच को बदलना है. बड़ी बात यह है कि इस सोच को बदलने के लिए जहां सरकार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है. वहीं, दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के महिला अस्पताल में संचालित हो रहा केंद्र साथिया इस सोच को हकीकत के धरातल पर उतारने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही है. महिला अस्पताल में बना साथिया केंद्र हर माह सैकड़ों किशोरियों को न सिर्फ महावारी के प्रति जागरूक करता है. बल्कि उनकी सोच को बदलने के साथ उनकी सुरक्षा को और भी ज्यादा पुख्ता करता है.
डॉक्टर से अपनी समस्या पर बात करती किशोरी. जिला महिला अस्पताल में मौजूद साथिया केंद्र में हर माह लगभग 600 से ज्यादा किशोरी आती हैं. जो अपने पीरियड को लेकर के निःसंकोच चर्चा करती हैं और जरूरी सलाह भी लेकर के जाती हैं. यह चर्चा न सिर्फ उनको उन दिनों में हाइजीनिक रखती है. इसी के साथ हाईजीन न रखने पर होने वाली तमाम तरीके की गंभीर बीमारियों से भी अवगत कराती है. युवतियों को इन्ही सब के प्रति जागरूक करने के लिए महावारी स्वच्छता दिवस का आयोजन हर वर्ष किया जाता है.
साथिया केंद्र बना युवतियों के सहारा:साथिया केंद्र की परामर्शदाता सारिका बताती है कि हर वर्ष 28 मई को महावारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि महिला और लड़कियों का मासिक दिन औसतन 5 दिन का होता है. मासिक धर्म का चक्र औसतन 28 दिन का होता है. इसलिए 28 दिन को 28 तारीख और 5 दिन को पांचवा महीना मानकर 28 मई को यह दिवस मनाया जाता है.
अब नहीं करती युवतियां संकोच: सारिका ने बताया कि एक ऐसा भी दौर था जब किशोरियां और युवतियां यहां तक कि महिलाएं भी मासिक धर्म के बारे में चर्चा करने से संकोच करती थी. लेकिन, वर्तमान दौर में जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ी है. अब खुद साथिया केंद्र पर किशोरिया आ करके अपनी माहवारी से जुड़ी हुई तमाम बिंदुओं पर चर्चा करती हैं. इसके साथ ही यहां से महत्वपूर्ण जानकारियां लेकर के जाती हैं. जो उनके मासिक धर्म को और भी ज्यादा बेहतर बनाता है.
मासिक धर्म के दौरान इन बातों का रखें ध्यान:इस दौरान सारिका किशोरियों की माहवारी से लेकर के कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को भी बताती हैं. उन्होंने बताया कि अमूमन पीरियड आने का सही उम्र 12 साल होता है, लेकिन कई लड़कियों को 8 या फिर 15 साल की उम्र में भी मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है. वहीं, मासिक धर्म बंद होने की उम्र 45 से 50 साल होती है. उन्होंने बताया कि इस चक्र के दौरान महत्वपूर्ण बात यह होती है कि युवतियों व महिलाओं को स्वच्छता बरतने के साथ-साथ संतुलन व स्वस्थ खानपान को अपने दिनचर्या में शामिल करने की जरूरत होती है. ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की आवश्यकता होती है, जिससे महिलाओं को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो.
ये है इस वर्ष की थीम:गौरतलब हो कि जिला महिला अस्पताल में साथिया केंद्र 2015 में स्थापित हुआ था. जहां प्रतिदिन लगभग 20 से 25 किशोरियों आकर के महावारी से जुड़ी हुई तमाम अलग-अलग विषयों पर चर्चा करती हैं. इस बार माहवारी स्वच्छता दिवस की थीम मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना निर्धारित किया गया है.
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