महाप्रबंधक वासुदेव पांडा ने बताया. वाराणसीःबनारस रेल इंजन कारखाना ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. रेल इंजन कारखाना ने अपने 10 हजारवें इंजन का लोकार्पण किया है. यह इंजन भारतीय रेल की उपब्लधियों के इतिहास में एक और अध्याय है. इस इंजन के बन जाने के बाद बनारस रेल इंजन कारखाना ने भारतीय रेलवे के बेड़े में एक ऐसा इंजन शामिल कर दिया है जो न सिर्फ अत्याधुनिक होगा बल्कि एनर्जी के साथ ही साथ प्रदूषण के बचाव में भी मदद करेगा. इसके साथ ही इसकी रफ्तार 103 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से रहेगी. एक समय था जब इस कारखाने में 50 इंजन सालाना बनाता था. आज लगभग 500 के करीब ये संख्या पहुंच चुकी है.
बनारस रेल इंजन कारखाना का कीर्तिमान.
10 हजारवें रेल इंजन का लोकार्पण
भारतीय रेलवे इस समय नए-नए कीर्तिमान रच रहा है. वह चाहे रेलवे स्टेशनों के नवीनीकरण की बात हो, स्टेशनों का विस्तार करना हो, उनकी क्षमता बढ़ानी हो या फिर नई ट्रोनों को शामिल करना हो. इंजनों की क्षमता बढ़ाने के साथ ही वंदे भारत ट्रेनों को शामिल करना भारतीय रेलवे के विकास का ही पथ दिखाता है. ऐसे में बनारस रेल इंजन कारखाना ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज कारखाना ने अपने 10 हजारवें रेल इंजन का लोकार्पण किया है. यह इंजन सिर्फ एक नंबर ही नहीं है, बल्कि बनारस रेल इंजन कारखाना का एक कीर्तिमान भी है. यहां मंगलवार को रेलवे के बेड़े में एक और इंजन शामिल हुआ, बल्कि इस इंजन ने ट्रेन की संचालन क्षमता में वृद्धि भी की है.
भारतीय रेलवे का 10 हजारवां इंजन.
बनारस में यूरोप से अधिक इंजन बन रहे
महाप्रबंधक वासुदेव पांडा ने बताया कि देश के लिए यह बहुत बड़ी सफलता है. भारतीय रेल के लिए यह बड़ी सफलता इसलिए है, क्योंकि 10 हजार जो नंबर है, वह बहुत मायने रखता है. पूरे भारतीय रेलवे में मौजूदा समय में करीब 7,000 इलेक्ट्रिक इंजन हैं. इसके साथ ही करीब 5,000 डीजल इंजन हैं. यह एक बहुत बड़ा फिगर है. अभी हम साल भर में जितने इंजन बना रहे हैं. वह पूरे यूरोप में जितने इंजन बनते हैं, उससे भी अधिक हैं. यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है". उन्होंने बताया कि वाराणसी में जब इसकी शुरुआत हुई थी तब साल में करीब 50 इंजन बनते थे. अब हम 500 के पार पहुंच रहे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय रेलवे ने कितना विकास किया है.
महाप्रबंधक वासुदेव पांडा ने किया पूजा-पाठ. 24 कोच की ट्रेन 130 की स्पीड़ से दौड़ेगी
महाप्रबंधक वासुदेव पांडा ने बताया कि 'आज जिस इंजन का लोकार्पण किया गया है, उसकी कई खासियतें हैं. यह मेल इंजन एक्सप्रेस को चलाने के लिए तैयार किया गया है. 6000 हॉर्स पॉवर का यह सबसे पावरफुल इंजन है, उनमें जो अभी भारतीय रेल में चल रहे हैं. यह विद्युत चालित इंजन हैं और एनर्जी एफिशिएंट है. इसकी स्पीड की अगर बात करें को 130 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से है. उन्होंने बताया कि अभी जो 24 कोच की लंबी ट्रेनें हैं, उनको 130 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से चलाने की क्षमता ये इंजन रखता है. इसमें होटल लोड का प्रोविजन है. इस कोच में एसी, लाइटें, पंखे आदि चलाने के लिए रेलवे को जेनरेटर या बिजली की जररूत नहीं है. इसी इंजन से सारी सप्लाई दी जाएगी. भारतीय रेलवे के 10 हजारवें इंजन को महाप्रंबधक ने दिखाई हरी झंडी. इंजन से ही कोच में होगी विद्युत आपूर्ति
महाप्रबंधक ने बताया कि 'इस इंजन से एक फायदा है कि इसमें प्रदूषण की मात्रा कम होती है. ऐसे में ग्रीन एनर्जी के लिए रेलवे के द्वारा एक महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है. इसके साख ही फॉग से सुरक्षा को लेकर भी वाराणसी कारखाने में काम किया गया है. फॉग सेफ डिवाइस के नाम से एक डिवाइस तैयार किया गया है. यह जीपीएस बेस्ड रहता है. इस डिवाइस को जब ड्राइवर अपनी कैब में रखता है तो उसको पता चल जाता है कि अगला जो सिग्नल आने वाला है उसका लोकेशन कहां पर है. ऐसे में जब हैवी फॉग के बीच सिग्नल नहीं दिखाई देता है तो इस डिवाइस की मदद से इसका पता चल जाता है. साथ ही इस डिवाइस की मदद से सिग्नल का पता करता चलता है.' महाप्रबंधक वासुदेव पांडा के साथ भारतीय रेलवे के अधिकारी. इस साल 460 इंजन बनाने का रखा गया लक्ष्य
महाप्रबंधक वासुदेव पांडा ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 460 इंजन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 100 पैसेंजर और मेल एक्सप्रेस के इंजन शामिल हैं. इसके अलावा बाकी 360 इंजन मालगाड़ी के लिए हैं. इसके साथ ही बनारस से अभी तक कुल 172 इंजन विदेश जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि लोगों का प्रयास है कि जितने भी इंजन वह यहां बनाएंगे, उसको भी एक्सपोर्ट किया जाए. उन्होंने बताया कि हमारे यहां का जो ट्रैक का गेज होता है, जिससे पटरियां जुड़ती हैं. वह हमारे यहां से अलग होता है. उसे स्टैंडर्ड गेज बोलते हैं. इसलिए उन्होंने प्रावधान किया है कि गेज भी हम लोग बनाएंगे और उसका ट्रायल भी करेंगे, जिससे कि लोग सीधा उसका निर्यात कर सकें.
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