बनारस के गुरुओं के मंदिर पर संवाददाता प्रतिमा तिवारी की खास रिपोर्ट. वाराणसी: बनारस की सैकड़ों साल पुरानी धरोहर गुरुग्राम मंदिर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. इसके संरक्षण का प्रयास कई सालों तक नहीं किया गया. यह अमूल्य धरोहर जानकारी के अभाव में पर्यटकों की पहुंच से भी दूर है. मगर अब इस मंदिर की तस्वीर बदलने जा रही है. न सिर्फ इस धरोहर को संरक्षित रखने का काम किया जाएगा, बल्कि पर्यटक व स्थानीय लोगों के लिए एक नए पर्यटन स्थल के रूप में इसे विकसित किया जाएगा. इसे नाइट आउट के लिए भी बेहतर स्थान बनाया जाएगा. इसके लिए बाकायदा यहां पर फसाड लाइट लगेगी और सुंदरीकरण का काम किया जाएगा.
गुरुधाम मंदिर बनारस की सैकड़ों वर्ष पुरानी वह धरोहर है, जो अब तक संरक्षण के अभाव से जूझ रही है. इस मंदिर की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं. बनारस में पर्यटन की दृष्टि से इस मंदिर पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया था, जिससे कि न तो बाहर से आने वाले पर्यटकों को इस मंदिर की जानकारी रहती और न ही स्थानीय लोग यहां पर घूमने के लिए आ रहे थे. मगर अब वाराणसी का पर्यटन विभाग इसको संवारने का काम करने जा रहा है. गुरुधाम मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की तैयारी है, जिससे बनारस आने वाले पर्यटकों का परिचय इस धरोहर से भी कराया जा सके.
बनारस में कहां स्थित है गुरुधाम मंदिरः पर्यटन उप निदेशक आरके रावत बताते हैं, 'वाराणसी का गुरुधाम मंदिर एक ऐतिहासिक मंदिर है. एएसआई स्मारक है. यह पिछले कई साल से उपेक्षित था. इसकी बिल्डिंग बहुत जर्जर हो गई है. एक प्रस्ताव के माध्यम से इसको हम रेनोवेट करेंगे. रेनोवेशन का काम हमारा पास हो चुका है. इसके बाद इस प्रोजेक्ट में लाइटिंग का भी प्रोजेक्ट है. आने वाले लोगों के लिए यह आकर्षण का केंद्र बनेगा. यह मंदिर शहर के बीचोबीच है. ऐसे में पर्यटकों की अधिक से अधिक संख्या भी यहां पर रहेगी. इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रोजेक्ट सेंक्शन कराया गया है.'
गुरुधाम मंदिर के सुंदरीकरण पर कितना होगा खर्जः आरके रावत का कहना है, 'यह प्रस्ताव करीब 80 लाख का है, जिसमें हमने रेनोवेशन और फसाड लाइट दोनों का प्रोजेक्ट बनाया है. इसके अतिरिक्त मंदिर के पास पाथ-वे, पार्क, लैंडस्केपिंग, ग्रीनरी को मेंटेंन करते हुए एक स्वरूप दिया जाएगा. जो चीजें वहां पर अपडेट नहीं हैं उनको ठीक कराने का काम किया जाएगा. उस स्थान पर टॉयलेट ब्लॉक्स, लाइटिंग, चेंजिंग रूम जैसी चीजों को भी ध्यान में रखा जाएगा. इसके साथ ही मंदिर परिसर की साफ-सफाई को भी प्रथामिकता पर रखा जा रहा है. फसाड लाइट लगने से यह नाइट टूरिस्ट स्पॉट भी बनेगा.'
गुरुधाम मंदिर किसने बनवाया थाःवाराणसी के भेलूपुर के पास गुरुधाम मंदिर स्थित है. इतिहासकार बताते हैं कि यह मिश्रित शैली में निर्मित किया गया है. इस मंदिर का निर्माण बंगाल के राजा जयनारायण घोषाल ने अपने गुरु के लिए सन 1814 में कराया था. यह मंदिर योग और तंत्र विद्या पर आधारित है. मंदिर की संरचना अष्टकोणीय है, जिसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इसके सभी द्वार एक ही प्रांगण में आकर मिलते हैं. इनके सात द्वार सप्तपुरियों– अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार (माया), काशी, कांची, उज्जैन और पूरी के प्रतीक हैं. इसमें आठवां द्वार गुरु का द्वार है. मंदिर के दोनों तरफ सात-सात गुम्बदनुमा मंदिर बने हैं.
ऊपर जाने के लिए कुण्डलिनी की तरह बनी हैं सीढ़ियांः इस मंदिर में काशी द्वार जो कि प्रवेश द्वार है (मुख्य द्वार). इसके बाद गुरु मंदिर है. इसके भूतल से ऊपर जाने के लिए कुण्डलिनी कि इड़ा, पिंगला नाड़ियों कि तरह सीढ़ी बनी है. पहले तल पर जाने के बाद एक गर्भगृह है जो मूर्तिविहिन है. उसके ऊपर एक और तल है, जिसका जाने का मार्ग नहीं बनाया गया है. बताया जाता है कि यह तल यह योग साधना की चरम अवस्था का प्रतीक है. इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर के प्रथम तल पर गुरु वशिष्ठ और अरुंधति की मूर्ति स्थापित थी. दूसरे तल पर राधा-कृष्ण और तीसरे तल पर व्योम यानी शून्य का प्रतिक मंदिर है. हालांकि आज इस मंदिर की अवस्था जर्जर हो चुकी है.
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