वाराणसी:गंगा (ganga) का रौद्र रूप धीरे-धीरे शांत हो रहा है, लेकिन अभी भी बाढ़ राहत शिविर केंद्रों (flood relief camp center) में लोग शरण लिए हुए हैं. वहां सरकार के निर्देश पर राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. चिकित्सक की व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि उन्हें किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े. बाढ़ राहत केंद्र की क्या स्थिति है? क्या वाकई में वहां लोगों को सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं? इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने वाराणसी के नगवा क्षेत्र में बने बाढ़ राहत शिविर केंद्र में पहुंचकर वहां की हकीकत जानी. वाराणसी का नगवा वह इलाका है, जो हर साल बाढ़ में 60 फीसदी से ज्यादा जलमग्न हो जाता है और यहां कि एक तिहाई आबादी बाढ़ से प्रभावित होती है.
बाढ़ से त्राहि-त्राहि: राहत शिविर केंद्रों का भी खस्ताहाल, सुनिए बाढ़ पीड़ितों का दर्द - bad condition of varanasi flood relief camp
यूपी के वाराणसी में गंगा नदी (ganga river) का जलस्तर बढ़ने से कई इलाकों की स्थिति बहुत खराब हो गई है. जिले के बाढ़ राहत शिविर केंद्रों (flood relief camp center) में लोग शरण लिए हुए हैं. इन राहत कैंपों का ईटीवी भारत की टीम ने जायजा लिया, जिसमें कई खामियां नजर आईं. देखिए यह रिपोर्ट...
वाराणसी के बाढ़ राहत शिविर का रियलिटी चेक.
वहीं स्थानीय पार्षद राजेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रही है. लोगों के लिए राहत सामग्री मंगाई जा रही है. दवाओं का वितरण किया जा रहा है. लोगों को राहत केंद्रों में ले आकर सुरक्षित रखा जा रहा है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण अभी भी ज्यादातर लोग उसी पानी में रहने को मजबूर हैं और उनके पास राशन भी नहीं पहुंच रहा है. हमने कई बार प्रशासन से उसको लेकर के गुहार भी लगाई है, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला है.
बता दें कि बनारस में लोगों के लिए कुल 21 चौकियां बनाई गई हैं, जिसमें से नगवा बाढ़ राहत शिविर केंद्र भी है. जहां पर चार कमरे में 70 से ज्यादा लोगों को ठहराया गया है. यहां अलग-अलग परिवार के लोग रुके हुए हैं. यहां न दो गज की दूरी है न ही कोई मास्क लगाए हुए है. अन्य किसी प्रकार की व्यवस्थाएं भी नहीं की गई हैं. ऐसे में लोगों का इस तरीके से बेखौफ होना, कहीं न कहीं कोरोना को न्यौता दे रहा है.गौरतलब है कि वाराणसी में 17 से ज्यादा शहरी इलाके बाढ़ के कारण प्रभावित हुए हैं. इसमें 50,000 से ज्यादा की जनसंख्या शामिल है. इनमें से 30,000 से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं. वहीं लगभग 3000 लोगों को जगह-जगह बने शिविर केंद्र में रखा गया है. बाढ़ ग्रसित लोगों को किसी समस्या का सामना न करना पड़े.
इसको लेकर बीते दिनों पीएम मोदी ने जिलाधिकारी से फोन पर बातचीत कर बाढ़ राहत सुविधाओं की जानकारी ली थी. इसके बाद गुरुवार को सीएम योगी भी वाराणसी आकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर बाढ़ पीड़ित लोगों से बातचीत किए थे. शासन के एक्शन से ये समझा जा सकता है कि सरकार पूरी तरीके से लोगों की मदद करने के लिए एक्टिव हैं, लेकिन कहीं न कहीं स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण बहुत सारी अनियमितताएं हो गई हैं, जिसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है.