वाराणसी: काशी को 7 बार और 9 त्योहारों का शहर ऐसे ही नहीं कहा जाता, क्योंकि यहां पर नए साल की शुरुआत के साथ ही त्योहारों की शुरुआत भी हो जाती है, जो पूरे साल चलती रहती है. होली से पहले रंगभरी एकादशी के मौके पर बाबा विश्वनाथ (Baba Vishwanath Banaras) और माता पार्वती के गौने का आयोजन होता है जिसमें बाबा के विवाह (Baba Vishwanath Ka Vivah) की अन्य रस्मों को निभाने की तैयारियां की जाती है. हर साल बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) के साथ और बाबा के तिलक उत्सव की शुरुआत होने के बाद शिवरात्रि और फिर रंगभरी के दिन बाबा का गौना संपन्न होता है.
बसंत पंचमी शनिवार को बाबा विश्वनाथ के तिलक (Baba Vishwanath Tilak Utsav) का उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर होगा. लोकमान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि पर शिव-विवाह के पूर्व बंसत पंचमी पर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया गया था. काशीवासी परंपरानुसार तिलक की रस्म पूरी करते है.
जानकारी के अनुसार, शनिवार (05 फरवरी) को महंत आवास पर भोर में मंगला आरती के बाद परंपरानुसार दिनभर तिलकोत्सव के लोकाचार संपादित होगा. ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक कर विशेष पुजनोपरांत फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग अर्पित किया जायेगा. इस दौरान महिलाओं द्वारा मंगल गीत भी होगा.