वाराणसी : बसंत पंचमी पर मंगलवार को बाबा विश्वनाथ का तिलक उत्सव टेढ़ीनीम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर हुआ. महिलाओं ने मंगल गीत गाकर बाबा की प्रतिमा का श्रृंगार कराया. श्रृंगार पूरा होने के बाद शाम को भक्त बाबा का तिलक लेकर महंत आवास पहुंचे. यहां मंगल गीत की ध्वनि के साथ बाबा को तिलक लगाया गया. इसके साथ ही 11 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन बाबा के विवाह की तैयारियां आरंभ कर दी गईं.
काशी में बसंत पंचमी का मतलब बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा का तिलकोत्सव माना जाता है. इसलिए मंगलवार सुबह से ही बाबा के तिलक कार्यक्रम की रस्में शुरू हो गईं. तड़के 4 बजे से 4:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती की गई. सुबह 6 बजे से 8 बजे तक ब्राह्मणों ने चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया. सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया. उसके उपरांत 5 वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक किया. पूर्वाह्न 11:45 बजे पुन: बाबा को स्नान कराया गया. 12 बजे से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग अर्पण कर आरती की गई. 12:45 से 2:30 बजे तक महिलाओं ने मंगल गीत गाए गए. 2:30 बजे से 4:45 तक श्रृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए. इस बीच संजीव रत्न मिश्रा ने बाबा का श्रृंगार किया. 4:45 से 5 बजे तक संध्या आरती और भोग के बाद शाम 5 बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए.
जालान परिवार की अगुवाई में हुई तिलक की रस्म