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Kashi Vishwanath: पालनहार के रूप में दिख रहा बाबा विश्वनाथ का स्वरूप, प्रसाद बनाने वाली महिलाएं हुई आत्मनिर्भर - श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

वाराणसी में पंडित दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन समूह (Pandit Deendayal Rural Livelihood Mission Group ) से जुड़कर महिलाएं घर की जिम्मेदारियों में उठा रही हैं. साथ ही बाबा विश्वनाथ का महाप्रसाद बनाकर खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं.

बाबा विश्वनाथ का स्वरूप
बाबा विश्वनाथ का स्वरूप

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Published : Feb 28, 2023, 9:28 PM IST

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ का नव्य भव्य धाम महिला सशक्तिकरण को बल दे रहा है. वाराणसी की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा विश्वनाथ को चढ़ाने वाला प्रसाद बना रही हैं. कुछ किलो बिकने वाला प्रसाद दर्शनर्थियो की संख्या बढ़ने से क्विंटल में पहुंच गया है. जिससे महिलओं के घर की अर्थव्यवस्था ने भी रफ्तार पकड़ ली है. इससे ये महिलाएं घर की जिम्मेदारियों में आर्थिक रूप से बढ़-चढ़ कर सहयोग कर रही हैं.



व्यापार में आया बड़ा उछाल:सनातन धर्म की आस्था का केंद्र श्री काशी विश्वनाथ धाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण के बाद बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका का साधन बन गया है. श्री काशी विश्वनाथ धाम के विस्तारित होने के बाद जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने धाम के संचालन का खाका तैयार किया तो लोगों के जीवन को नया आयाम मिलने लगा. लोगों को आजीविका के नए साधन मिलने के साथ ही व्यापार में बढ़ोतरी हुई है. बनारस के एक ऐसे स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बाबा का महाप्रसाद बनाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं. पंडित दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन समूह की मुखिया सुनीता जायसवाल ने बताया कि शुरुआत में 10 महिलाएं जुड़ी थी. लेकिन मंदिर के विस्तारित होने के बाद हम लोगों के काम में भी विस्तार आया और अब इस समूह में 21 महिलाएं काम कर रही हैं.



समूह की मुखिया सुनीता जायसवाल ने बताया कि लोकार्पण के पहले 2019 में मंदिर में कुछ ही किलो तक की लड्डू की मांग थी. लेकिन प्रधानमंत्री ने जब से मंदिर का लोकार्पण किया है तब से बाबा के प्रसाद की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ते हुए एक क्विंटल तक पहुंच गई है. शनिवार और रविवार को बाबा को चढ़ाने वाले लड्डू की मांग 100 किलो से भी अधिक हो जाती है. बीते सावन महीने में करीब 125 किलो और शिवरात्रि में बाबा के प्रसाद की मांग 400 किलो तक पहुंच गई थी.

काशी की महिलाएं हुईं आत्मनिर्भर:सुनीता जायसवाल ने बताया कि पंडित दीनदयाल ग्रामीण आजीविका मिशन से कई महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है. जिनके पति काम नहीं कर पा रहे थे, कोरोना में जिनकी नौकरी चली गई थी. यहां विधवा समेत कई जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार मिला है. वह महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. बाबा का महाप्रसाद बनाने वाली महिलाएं अपने को सौभाग्यशाली मानती हैं. उन्होंने बताया कि बाबा का प्रसाद बनाने में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. साथ ही बाबा का प्रसाद बनाने में गौरव की अनुभूति होती है. जब देश-विदेश के आए हुए भक्त बाबा के प्रसाद की तारीफ करते हैं तो आत्मीय सुकून मिलता है. समूह की महिलाएं सिर्फ प्रसाद ही नहीं बनाती हैं. यहां महिलाएं धाम में काउंटर लगाकर प्रसाद की बिक्री भी करती हैं.


सुनीता जायसवाल ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए महाप्रसाद बनाने वाली महिलाओं के समूह के साथ ही गोपालक, डेयरी, आटा, सूजी, देशी घी, बादाम, काजू, चीनी, गुलाब की पंखुडिया, डिब्बे आदि का व्यवसाय करने वालों को भी बड़े तादाद में व्यवसाय मिल रहा है.

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