वाराणसी : कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बचने के लिए लोग तमाम तरीके अपना रहे हैं. इनमें आयुर्वेद व परंपरागत उपचार शामिल हैं. इन दिनों आम लोग अपनी दिनचर्या में योग और काढ़ा शामिल कर रहे हैं, ताकि उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े. इसी का परिणाम है कि इन दिनों बाजारों में फिर से औषधीय मसालों व दवाओं की डिमांड भी बढ़ गई है. आइए जानते हैं कि किस तरीके से वर्तमान दौर में अपने दिनचर्या व खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, जिससे इस महामारी से बचा जा सके.
काशी किराना व्यापार मंडल के महामंत्री मोहनलाल बरनवाल कहते हैं कि इन दिनों लोग काढ़े का सेवन कर रहे हैं. इसके कारण बाजार में काढ़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामानों की मांगों में इजाफा हुआ है. इनमें दालचीनी, सोंठ, तुलसी पत्ती, काली मिर्च, गिलोय, चिरईता, बादाम इत्यादि की मांग ज्यादा है. उन्होंने बताया कि इनकी कीमतों में अभी बहुत इज़ाफ़ा नहीं हुआ है. लेकिन मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
महामारी से सुरक्षित रखने में आयुर्वेद है कारगर
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि आयुर्वेद में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए तमाम तरीके बताए गए हैं. वर्तमान में कोरोना महामारी से बचने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना जरूरी है. इसके लिए सभी लोगों को आयुष काढ़े का सेवन करना चाहिए, जो काफी लाभदायक है. उन्होंने बताया कि इसमें काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ, तुलसी, गिलोय, इत्यादि को शामिल करके काढ़ा बनाना चाहिए और दिन में 2 बार इसका सेवन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि काढ़े को हमेशा अल्पाहार के बाद लेना चाहिए, जिससे लोगों को बीमारी से लड़ने में शक्ति मिलेगी.
रस औषधियां भी हैं कारगर
डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि इस महामारी में आयुष काढ़ा ही नहीं बल्कि विभिन्न रस औषधियां भी कारगर हैं, जिनमें स्वर्ण भस्म का योग स्वर्ण, मालिनी वसंत, अभ्रक भस्म, प्रवाल भस्म के योग, त्रैलोक्य चिंतामणि रस, जय मंगल रस, त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मी विलास रस, इत्यादि शामिल हैं. ये सारे रस श्वास, बुखार, कफ को दूर करने के साथ ही पाचन क्रिया को बढ़ाते हैं.