वाराणसी: कोरोना की दूसरी लहर में आयुर्वेद की सशक्त भूमिका को देखकर आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद की जिम्मेदारी को और बढ़ा दिया है. इसके तहत अब आयुर्वेद गांव-गांव, शहर-शहर लोगों तक पहुंच रहा है. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए आयुर्वेद पूरी तरीके से तैयार है और इसी के तहत अब वाराणसी जनपद को आयुर्वेद सेंटर से पूरी तरीके से लैश किया जा रहा है. जी हां इसके लिए वाराणसी की सीमाओं पर आठ अलग-अलग क्षेत्रों में आयुर्वेद सेंटर की स्थापना की जा रही है. इसके जरिए वहां लोगों का इलाज किया जाएगा. साथ ही लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक कर हर्बल खेती पर जोर दिया जाएगा.
इस बाबत आयुर्वेद यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ. भावना द्विवेदी ने बताया कि आयुर्वेद ने कोरोना काल में खुद को साबित किया है कि वह किसी अन्य चिकित्सा पद्धति से पीछे नहीं हैं. बल्कि कोरना काल में आयुर्वेद में ज्यादातर लोगों को कोरोना के काल से बचाया है. तीसरी लहर को देखते हुए भी अब आयुर्वेद पूरी तरीके तैयार है और इसी के तहत वाराणसी शहर की सीमाओं को आयुर्वेद सेंटर से लैश किया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि जनपद में अलग-अलग जगह बाहरी सीमाओं पर आयुर्वेद सेंटर बनाया जा रहा है. इनमें रामनगर, पलाही पट्टी, सिंधोरा, रामेश्वरम व अन्य शहरी और ग्रामीण सीमा इससे संबंध है. उन्होंने बताया कि यह आयुर्वेद सेंटर न सिर्फ कोरोना काल में बल्कि सामान्य दिनों में भी मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होंगे, क्योंकि यहां पर कोरोना के साथ अन्य छोटी-मोटी साधारण बीमारियों का भी इलाज होगा, जिसके लिए लोग एलोपैथ का सहारा लेते हैं और कई सारे साइड इफेक्ट का सामना करते हैं. अब सभी लोग आयुर्वेद के जरिए निरोग रह सकेंगे.
डॉ. भावना द्विवेदी ने बताया कि वाराणसी में पहले से दो आयुर्वेद अस्पताल चल रहे थे, एक बीएचयू का आयुर्वेद अस्पताल और दूसरा चौकाघाट आयुर्वैदिक चिकित्सालय. हाल ही में शहर को भद्रासी में बने नए आयुर्वेद अस्पताल का तोहफा सरकार की ओर से दिया गया है.इसके साथ ही अलग-अलग ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आयुर्वेदिक सेंटर भी बनाया गया था, लेकिन अब इन सेंटरों को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसके तहत वाराणसी के शहरी सीमाओं पर इसे सुदृढ़ रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है.