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कोरोना की तीसरी लहर में आयुर्वेद बनेगा ब्रह्मास्त्र, आयुर्वेद सेंटर से वाराणसी की सीमाएं हुईं सील - आयुष मंत्रालय

कोरोना की दूसरी लहर में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. कोरोना काल में लोगों को आयुर्वेद का बहुत फायदा मिला था. इसी को ध्यान में रखकर कोरोना की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए आयुर्वेद को तैयार किया गया है. इसके तहत वाराणसी जनपद को आयुर्वेद सेंटर से लैश किया जा रहा है.

आयुर्वेद बनेगा ब्रह्मास्त्र.
आयुर्वेद बनेगा ब्रह्मास्त्र.

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Published : Nov 8, 2021, 10:27 AM IST

वाराणसी: कोरोना की दूसरी लहर में आयुर्वेद की सशक्त भूमिका को देखकर आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद की जिम्मेदारी को और बढ़ा दिया है. इसके तहत अब आयुर्वेद गांव-गांव, शहर-शहर लोगों तक पहुंच रहा है. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से लड़ने के लिए आयुर्वेद पूरी तरीके से तैयार है और इसी के तहत अब वाराणसी जनपद को आयुर्वेद सेंटर से पूरी तरीके से लैश किया जा रहा है. जी हां इसके लिए वाराणसी की सीमाओं पर आठ अलग-अलग क्षेत्रों में आयुर्वेद सेंटर की स्थापना की जा रही है. इसके जरिए वहां लोगों का इलाज किया जाएगा. साथ ही लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक कर हर्बल खेती पर जोर दिया जाएगा.

इस बाबत आयुर्वेद यूनानी चिकित्सा अधिकारी डॉ. भावना द्विवेदी ने बताया कि आयुर्वेद ने कोरोना काल में खुद को साबित किया है कि वह किसी अन्य चिकित्सा पद्धति से पीछे नहीं हैं. बल्कि कोरना काल में आयुर्वेद में ज्यादातर लोगों को कोरोना के काल से बचाया है. तीसरी लहर को देखते हुए भी अब आयुर्वेद पूरी तरीके तैयार है और इसी के तहत वाराणसी शहर की सीमाओं को आयुर्वेद सेंटर से लैश किया जा रहा है.

आयुर्वेद बनेगा ब्रह्मास्त्र.

उन्होंने बताया कि जनपद में अलग-अलग जगह बाहरी सीमाओं पर आयुर्वेद सेंटर बनाया जा रहा है. इनमें रामनगर, पलाही पट्टी, सिंधोरा, रामेश्वरम व अन्य शहरी और ग्रामीण सीमा इससे संबंध है. उन्होंने बताया कि यह आयुर्वेद सेंटर न सिर्फ कोरोना काल में बल्कि सामान्य दिनों में भी मरीजों के लिए काफी कारगर साबित होंगे, क्योंकि यहां पर कोरोना के साथ अन्य छोटी-मोटी साधारण बीमारियों का भी इलाज होगा, जिसके लिए लोग एलोपैथ का सहारा लेते हैं और कई सारे साइड इफेक्ट का सामना करते हैं. अब सभी लोग आयुर्वेद के जरिए निरोग रह सकेंगे.

डॉ. भावना द्विवेदी ने बताया कि वाराणसी में पहले से दो आयुर्वेद अस्पताल चल रहे थे, एक बीएचयू का आयुर्वेद अस्पताल और दूसरा चौकाघाट आयुर्वैदिक चिकित्सालय. हाल ही में शहर को भद्रासी में बने नए आयुर्वेद अस्पताल का तोहफा सरकार की ओर से दिया गया है.इसके साथ ही अलग-अलग ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आयुर्वेदिक सेंटर भी बनाया गया था, लेकिन अब इन सेंटरों को आधुनिक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसके तहत वाराणसी के शहरी सीमाओं पर इसे सुदृढ़ रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि आमजन तक आयुर्वेद की सुविधाओं को पहुंचाने के लिए वहां मौजूद आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है. उन्हें आयुर्वेद की दवाओं के बारे में बताया जा रहा है. साथ ही उन्हें इस बात से भी अवगत कराया जा रहा है कि कैसे वह आम जन का इलाज कर सकें और लोगों को आयुर्वेद के प्रति जागरूक कर सकें.

उन्होंने बताया कि आयुर्वेद सेंटर पर सिर्फ छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज नहीं होगा, बल्कि योग के जरिए लोगों को निरोग भी बनाया जाएगा. इसके लिए योग प्रशिक्षण की भर्ती की जा रही है, जिससे महिला-पुरुष दोनों योग प्रशिक्षक लोगों, बच्चों को योग के महत्व के बारे में बताकर उन्हें योग से निरोग रख सकेंगे.

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हर्बल खेती पर भी जोर दिया जा रहा है, क्योंकि वर्तमान में हल्की सी भी कोई बीमारी होती है तो लोग एलोपैथ व तमाम तरीके की दवाओं का सहारा लेते हैं, जबकि आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करके आसानी से उन बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है. इसलिए जो सामान्य जीवन में प्रयोग आने वाली औषधियां हैं उनके विषय में लोगों को बताया जा रहा है और बेहद आसानी से उनकी खेती भी की जा सकती है और इसी के जरिए हर्बल खेती पर भी जोर दिया जा रहा है.

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