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मंडुवाडीह में स्थापित हुआ ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट, रेलमंत्री ने किया ट्वीट

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Published : Jul 7, 2021, 1:47 AM IST

वाराणसी के मंडुवाडीह कोचिंग डिपो में पूर्वोत्तर रेलवे के पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट (automatic rail coach washing plant) का कार्य शुरू हो गया है. रेलमंत्री पीयूष गोयल (Railway Minister Piyush Goyal) ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है.

ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट
ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट

वाराणसी: वाराणसी मंडल(पूर्वोत्तर रेलवे) के मंडुवाडीह कोचिंग डिपो(Manduwadih Coaching Depot) में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट(automatic rail coach washing plant) की स्थापना की गई है. अब, इस प्रणाली से रेल कोचों की सफाई में आसानी होगी. मंडुवाडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाला Effuluent Treatment Plant (ईटीपी) भी लगाया गया है.

प्लांट स्थापित होने पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इसका वीडियो साझा कर प्रशंसा की है. उन्होंने, लिखा है कि 'वाराणसी के मंडुआडीह कोचिंग डिपो पर पूर्वोत्तर रेलवे के पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट' ने कार्य करना शुरू कर दिया है. इस प्लांट से रेल कोचों की धुलाई में लगने वाले समय में कमी आएगी और पानी की भी बचत होगी. निगरानी के लिये प्लांट में CCTV भी लगाए गए हैं.

ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट


7 मिनट में साफ होंगे 24 कोच
भारतीय रेलवे ने ट्रेनों के डिब्बों की सफाई के लिए अत्याधुनिक तरीका विकसित कर लिया है. पूर्वोत्तर रेलवे ने ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से ट्रेनों के कोचों को साफ करने की शुरुआत कर दी है. इससे घंटों लगने वाले समय की बचत होगी और बड़ी मात्रा में पानी की बर्बादी पर भी रोक लग सकेगी. साथ ही इस नई व्यवस्था से रेलवे कोच चमकते नजर आएंगे. रोचक बात ये है कि इस मशीन से पूरी की पूरी ट्रेन यानी 24 बोगियां 7 से 8 मिनट में साफ हो जाएंगी.

मंडल रेल प्रबंधक विजय कुमार पंजियार के मुताबिक, मंडुवाडीह कोचिंग डिपो में ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट के साथ 30 हजार लीटर क्षमता वाले इफलयुइंड ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) भी लगाया गया है. यह ट्रीटमेंट प्लांट सफाई के बाद बर्बाद होने वाले पानी को रिसाइकिल करेगा, जिससे पानी को दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा.

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एक दिन में साफ होंगे 250 डिब्बे
वरिष्ठ मंडल इंजीनियर यांत्रिक (C&W) एसपी. श्रीवास्तव के मुताबिक, इस स्वचालित वॉशिंग मशीन की मदद से सफाई में लगने वाला टाइम बचेगा और एक दिन में इससे ट्रेन के करीब 250 डिब्बे साफ हो सकेंगे. साथ ही सफाई के दौरान कम पानी, साबुन का प्रयोग किया जाएगा जो कि पर्यावरण के अनुकूल होगा और साथ ही बाहर की सफाई करने वाले सफाई कर्मियों को अब केवल गाड़ी के अंदर की सफाई के काम में लगाया जा सकेगा.

रेलमंत्री ने किया ट्वीट
ऐसे करता है कामरेकों को वाशिंग पिट पर अनुरक्षण के लिए लाते समय बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट में लगा सेंसर सर्व प्रथम सेन्स करता है. सेंसर कंट्रोल पैनल से जुड़ा रहता है और सभी ब्रश यूनिट पानी के कालम, डिटर्जेंट कालम्स, बॉयलर, एयर कम्प्रेशर इत्यादि को सक्रिय (Active) करता है, जिससे पूरा प्लांट रन करने लगता है. वाटर कालम से नोजल के माद्यम से पानी की बौछार ट्रेन यानो पर करने लगता है. ब्रश यूनिट बहुत तेजी से रोटेड करते हुए यान को रगड़ता है. शाफ्ट वाटर, री- क्लैम्ड वाटर, डिटर्जेंट सलूशन ब्लोअर इत्यादि ऑटो रन करने लगता है. इस प्रकार से पूरी गाड़ी की बाहरी धुलाई 7-8 मिनट में हो जाती है. वहीं, उपयोग में पानी डिटर्जेंट सलूशन, गर्म पानी इत्यादि ड्रेनेज सिस्टम में माध्यम से वेस्ट वाटर टैंक में जाता है, जहां से Effuluent Treatment Plant द्वारा उसे प्यूरिफाई कर पुन: उपयोग में लाया जाता है.

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