वाराणसी:काशी के शिवाला घाट पर पिछले 10 दिन से रुद्र अध्याय के मंत्रों की गूंज की साक्षी मां गंगा भी बन रही हैं. गंगा तट पर अति रुद्रम यज्ञ का आयोजन दक्षिण भारत की प्रमुख आध्यात्मिक संस्था अवधूत दत्त पीठम की ओर से कराया जा रहा है. इस आयोजन में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में दक्षिण भारत के श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं.
काशी में अति रुद्रम् यज्ञ का आयोजन, दक्षिण भारत से पहुंचे श्रद्धालु - south indian devotees came varanasi
यूपी के वाराणसी के शिवाला घाट पर पिछले 10 दिन से अति रुद्रम यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. यज्ञ का आयोजन दक्षिण भारत की प्रमुख आध्यात्मिक संस्था अवधूत दत्त पीठम की और से किया जा रहा है. इसमें शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में दक्षिण भारत के श्रद्धालु काशी पहुंचे हैं.
अति रुद्रम यज्ञ का आयोजन
अति रुद्रम यज्ञ का आयोजन अत्यंत विलक्षण और साधन संस्कार की दृष्टि से दुर्लभ है. कार्तिक मास में यज्ञ के आयोजन की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है. यजुर्वेद में अति रुद्र यज्ञ के बारे में जानकारी दी गई है. अवधूत दत्त पीठम की ओर से यज्ञ के आयोजन की वजह विश्व कल्याण और विश्व शांति बताई गई है. इस यज्ञ के दौरान रुद्र अध्याय के 169 मंत्रों का पंडितों द्वारा सस्वर पाठ किया जाता है और उसी के अनुरूप होम-यज्ञ किया जाता है.
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बताया जाता है कि जब एक ब्राह्मण रुद्र अध्याय के 11 पाठ करता है तो उसे एक रुद्रम यज्ञ का पुण्य फल प्राप्त होता है. इसी तरह 11 ब्राह्मणों के 11-11 रुद्र पाठ से लघु रुद्रम यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है. जब 121 ब्राह्मण 11-11 रुद्र पाठ करते हैं तो कुल 1321 पाठ संपूर्ण होते हैं और इसे महारुद्रम कहा गया है. इसी तरह जब 121 ब्राह्मण मिलकर 11 दिनों तक प्रतिदिन 11-11 रुद्र पाठ करते हैं, तो कुल रुद्र पाठ की संख्या 14,321 हो जाती है और यही अति रुद्र कहलाता है. कहा जाता है कि इस कठोर तपस्या और पूजा से भगवान शिव भक्तों पर कृपा करने के लिए विवश हो जाते हैं और अभीष्ट की कामना को तुरंत पूरा करते हैं.