वाराणसीः 2020 की पहली लहर में भारत ने अपने आप को सुरक्षित कर लिया था और कम जनहानि हुई थी, लेकिन 2021 में इस वायरस ने सबसे बड़ी तबाही भारत में ही मचाई. चारों तरफ लाशों के ढेर, इस वायरस के शक्तिशाली होने का सबूत दे रहे हैं. जिसके बाद यह सवाल उठना जायज है कि आखिर ग्रह मंडल में ग्रह नक्षत्रों का ऐसा कौन सा योग है जो इस वायरस को शक्तिशाली बना रहा है और इसकी ताकत दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आखिर कब इस वायरस का अंत होगा और कब लोगों की जिंदगी सुरक्षित होगी.
पूरे विश्व पर मंडरा रहे संकट के बादल
ज्योतिष शास्त्र के जानकार और काशी विद्वत परिषद के मंत्री पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि कोविड 19 का विश्वपटल पर असर दिख रहा है. इसमें हर कोशिश नाकाम साबित हो रही है. महामारी कब जाएगी कोई गारंटी के साथ बताने को तैयार नहीं है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि 'कालाधिनम जगत सर्वम' अर्थात सभी कार्य समय अधीन हैं और काल ज्योतिष शास्त्र के अधीन है.
खगोल मंडल में ग्रहों का खेल बढ़ा रहा संकट
पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि हिन्दी नव वर्ष 2078 के प्रवेश के साथ ही कोरोना ने विश्व में मौत का तांडव मचा दिया. श्मशानों पर लाशों को जलाने के लिए जगह का अभाव है. तीसरी लहर भी जून में भारत में आने वाली है. ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो हिन्दी नव वर्ष में खगोल मंडल में कई बुरे योग बने हुए हैं. सर्वप्रथम 2078 के जग लग्न में बना राहु, मंगल युति से अंगारक योग महामारी का एक कारण है, दूसरा इस वर्ष नव वर्ष के राजा और मंत्री मंगल हैं.
26 मई को चंद्र ग्रहण के बाद बिगड़ेंगे और हालात
शास्त्र के अनुसार जिस वर्ष राजा और मंत्री दोनों ग्रह पाप या क्रूर ग्रह हों तो वह वर्ष देश-समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता है. तीसरा कारण 26 मई को चंद्रग्रहण जो भारत में खग्रास चंन्द्रग्रहण आंशिक रूप से भारत में सुदूर पूर्वोत्तर और पश्चिम बंगाल में कुछ भाग में दृश्य होगा. शास्त्र के अनुसार ग्रहण से पूर्व और ग्रहण लगने के 15 दिनों बाद तक इसका विशेष प्रभाव रहता है. चन्द्रग्रहण भी एक खगोलीय घटना है. इस प्रकार की खगोलीय घटनाएं समय अंतराल पर घटती रहती हैं, जिसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता रहता है.