वाराणसी : कई दिनों से गर्म मौसम आज ठंडा हो गया, ठंडी हवाओं के साथ उत्तर प्रदेश में मौसम ने भले ही बदलाव के साथ लोगों में कपकपी पैदा कर दी हो लेकिन यूपी की राजनीति ठंड के मौसम में आज गरमा गई है. इसकी वजह दो बड़े राजनीतिक दिग्गजों का एक ही दिन पूर्वांचल के दौरे पर पहुंचना है. इन दिग्गजों में एक तो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, जो आज वाराणसी से होकर जौनपुर के लिए रवाना हुए हैं. वहीं दूसरी ओर हैदराबाद से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में 5 सीटें जीतने के बाद बनारस से यूपी की राजनीति में एंट्री ली है.
सपा के गढ़ में सेंधमारी
अहम बात यह है कि ओवैसी ने सबसे पहले यूपी में समाजवादी पार्टी का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में सेंधमारी की कोशिश शुरू की है. वहीं इसके बावजूद अखिलेश यादव की चुप्पी ने यह इशारा भी दे दिया है कि आने वाले समय में संयुक्त मोर्चा जो भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर ओवैसी की पार्टी ने तैयार किया है, उसका हिस्सा समाजवादी पार्टी भी हो सकती है.
पूर्वांचल पर रहती है हर दल की निगाह
यूपी की राजनीति में पूर्वांचल का महत्वपूर्ण रोल होता है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और दलगत राजनीति करने वाली छोटी-मोटी पार्टियां यूपी में पूर्वांचल को सबसे ज्यादा तवज्जो देती हैं. काफी लंबे वक्त के बाद यूपी में जब बीजेपी ने सरकार बनाई तब भारतीय समाज पार्टी में सहयोगी दल की भूमिका में रहकर बीजेपी को सपोर्ट किया. हालांकि बाद में भारतीय समाज पार्टी के मुखिया और कैबिनेट मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी से खुद को अलग कर संयुक्त मोर्चा बनाने की तैयारी शुरू की. वहीं इस संयुक्त मोर्चा में जब हैदराबाद से सांसद एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी का नाम जुड़ा तो यूपी का राजनैतिक पारा चढ़ने लगा.
ओवैसी के बयान पर अखिलेश की चुप्पी
बनारस से पूर्वांचल होते हुए यूपी में एंट्री लेने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने समाजवादी पार्टी पर जमकर हमला बोला और सपा सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि सपा सरकार में उन्हें यूपी में 28 बार एंट्री नहीं करने दिया गया. हालांकि इन सबके बाद भी ओवैसी के बयान पर पलटवार न करके अखिलेश ने यह इशारा जरुर कर दिया कि वह संयुक्त मोर्चा को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रख रहे हैं.
ओवैसी की एंट्री से गरमाई यूपी की राजनीति
बीते विधानसभा चुनाव में अखिलेश का कांग्रेस के साथ जाना इस बात को इशारा कर चुका है कि बीजेपी को हराने के लिए राजनीतिक पार्टियां कहीं से भी एकजुट हो सकती हैं. मायावती यानी बसपा, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पिछले चुनावों में एकजुट हुए तो राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई और इस बार संयुक्त मोर्चा में ओवैसी की एंट्री ने एक बार फिर यूपी की राजनीति को गरमाने काम किया है.