वाराणसी : कुछ लोग अपनों को खोने के बाद टूट जाते हैं तो कुछ उसे अपना हौसला बनाकर दूसरों की जिंदगी संवारने का बीड़ा उठा लेते हैं. ऐसा ही एक बीड़ा वाराणसी के अनवर ने उठाया है. अनवर अपनी बेटी का जीवन तो नहीं बचा सके लेकिन दूसरों का जीवन बचाने के लिए रात दिन मेहनत कर रहे हैं. कोरोना काल में जहां एक ओर ऑक्सीजन, एंबुलेंस की किल्लत हो रही है, लोगों की मानवता मर रही है, ऐसे समय में वह समाज में एक नज़ीर के रूप में सामने आए हैं जो जरूरतमंदों की मदद कर उन्हें संजीवनी प्रदान कर रहे हैं. बता दें कि अनवर ने पिछले लॉकडाउन में भी लोगों तक दो वक्त की रोटी पहुंचाई थी. वर्तमान में वह लोगों तक संजीवनी पहुंचा रहे हैं.
बेटी को खोने के बाद हौसला नहीं हारे अनवर, लोगों के लिए बने मसीहा मरियम ट्रस्ट की शुरुआत की ईटीवी भारत से बातचीत में अनवर ने बताया कि एक साल पहले असाध्य रोग के कारण उनकी बेटी मरियम इस दुनिया को छोड़ कर चली गई. इस दौरान वो बेहद टूट गए. उन्हें एंबुलेंस के सायरन की आवाज से डर लगने लगा. धीरे-धीरे अपने परिवार व दोस्तों की मदद से वह इस परिस्थिति से बाहर निकले. बताया कि उन्होंने देखा कि वर्तमान महामारी के दौर में ऑक्सीजन, बेड व अन्य चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.
सुविधाओं के अभाव में लोगों की मौत हो रही है. तब उन्होंने निर्णय लिया कि वह लोगों की मदद करेंगे. इसके लिए उन्होंने मरियम ट्रस्ट की शुरुआत की. इसके बाद उन्होंने एक गाड़ी ली और उसे एंबुलेंस में तब्दील कर दिया. उन्होंने बताया कि ढाई महीने पहले उन्होंने इस सेवा की शुरुआत की. वह लोगों को नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं. बताया कि उनके पास प्रतिदिन मदद के लिए लगभग सैकड़ों लोगों के फोन आते हैं. इस काम में उनकी मदद उनके मित्र राजेश उपाध्याय व हफ़िजूल हौदी कर रहे हैं.
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लग्ज़री गाड़ी को बनाया एंबुलेंस
अनवर ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र के सभासद से गाड़ी खरीदने की बात की तो सभासद ने उन्हें नि:शुल्क एक लग्जरी गाड़ी प्रदान कर दी. इसे अनवर ने एंबुलेंस के रूप में तब्दील कर दिया और वह उसमें दवाएं, ऑक्सीजन इत्यादि रखकर दिनरात लोगों की मदद कर रहे हैं. बताया कि उन्हें एक और गाड़ी एक अन्य व्यक्ति द्वारा प्रदान की गई जिसे वह आगामी दो-तीन दिनों में क्षेत्र में लाएंगे.
अन्य नए उपकरण की भी कर रहे हैं व्यवस्था
अनवर ने बताया कि वर्तमान जरूरत को देखते हुए उन्होंने 20 घंटे ऑक्सीजन देने वाली मशीन को मंगवाया है. यह ऑक्सीजन जनरेट करने का काम करेगी. साथ ही डीफ्रिजरेटर, फॉगिंग व सैनिटाइजिंग मशीन, पीपीई कीट आदि की भी व्यवस्था की है ताकि लोगों की मदद हो सके.
परिवार का मिल रहा सपोर्ट
अनवर ने बताया कि इस कार्य को करने में उनको उनके परिवार का पूरा सपोर्ट मिलता है. उनके माता-पिता, पत्नी यास्मीन और उनकी छोटी बेटी मारिया, सभी उनका साथ देते हैं. अनवर ने बताया कि जब से वह लोगों के बीच में जाकर उनकी मदद कर रहे हैं, तब से वह अपनी बेटी से दूर रह रहे है जिससे कि उसे किसी प्रकार का कोई खतरा ना हो. उनका कहना है कि यदि उनके माता-पिता वह पत्नी का सहयोग नहीं होता तो शायद वह लोगों की मदद कभी नहीं कर पाते.
इंसानियत पहले दुनियादारी बाद में
अनवर ने कहा कि हमारे लिए इंसानियत पहले है दुनियादारी बाद में. वर्तमान में हम सबको एकजुट रहने की जरूरत है. लोगों को सकारात्मक दिशा में लेकर जाने की ज़रूरत है ना कि उनको दर-दर भटकने के लिए छोड़ने की. इस संकट के दौर में लोगों की मदद करना ही सबसे बड़ी मानवता हैं.
आगे समाज के लिए बहुत कुछ करने की है चाह
अनवर के साथी राजेश उपाध्याय बताते हैं कि अभी भविष्य में हमें और भी कुछ करना है. वर्तमान में हमारा पूरा ध्यान लोगों तक ऑक्सीजन व चिकित्सकीय सुविधाएं पहुंचाने का है. इसके बाद भविष्य में हम मिलकर एक अस्पताल खोलेंगे. यहा लोगों का निःशुल्क इलाज होगा. साथ ही लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई केंद्र खोलेंगे.