वाराणसीःउत्तर प्रदेश वाराणसी जिले में 23 मार्च 2019 को 5 हजार रुपये की घूस लेते पकड़े गए दारोगा महेश सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है. विभागीय जांच के बाद सिगरा थाना क्षेत्र स्थित सोनिया चौकी पर तैनात दारोगा की बर्खास्तगी का आदेश वाराणसी कमिश्नरेट के अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) सुभाष चंद्र दुबे ने दिया.
एक हफ्ते में ऐसा दूसरी बार हुआ है जब वाराणसी पुलिस भ्रष्टाचार में संलिप्त दारोगा को अपर पुलिस आयुक्त ने बर्खास्त करने का आदेश दिया है. इससे पहले 21 दिसंबर को इटावा जिले में तैनात दारोगा गीता यादव बर्खास्त की गईं थीं. दारोगा महेश सिंह वर्तमान समय में जौनपुर जिले में तैनात था. महेश सिंह मऊ जिले के कोपागंज थाना के अंतर्गत इंदारा मझकी पट्टी गांव का मूल निवासी है और मार्च 2019 में सिगरा थाने की सोनिया पुलिस चौकी प्रभारी के पद पर तैनात था.
जालपा देवी रोड कबीरचौरा निवासी राजकुमार गुप्ता द्वारा दर्ज कराए गए धोखाधड़ी मुकदमे की विवेचना एसआई महेश सिंह को मिली थी. राजकुमार ने एंटी करप्शन ब्यूरो में शिकायत की थी कि मुकदमे में कार्रवाई के लिए एसआई महेश सिंह द्वारा बार-बार पैसे की मांग की जाती है. दारोगा महेश सिंह का कहना है कि 10 लाख रुपये का प्रकरण है, तुम पैसे खर्च करो तो कार्रवाई हो.
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राजकुमार की शिकायत के आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो की ट्रैप टीम ने एसआई महेश सिंह को 5 हजार रुपये देने को कहा. इसके बाद 23 मार्च 2019 को राजकुमार केमिकल युक्त नोट लेकर सोनिया चौकी पहुंचा और एसआई महेश सिंह को जैसे ही थमाया वैसे ही एंटी करप्शन ब्यूरो की ट्रैप टीम ने उसे घूस लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया.
दारोगा महेश सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराकर उसे पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने एसआई महेश को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दारोगा महेश सिंह 1994 में सिपाही के पद पर भर्ती हुआ था. उत्कृष्ट सेवा अभिलेख के आधार पर वर्ष 2015 में उसे सिपाही से सब इंस्पेक्टर के पद पर प्रमोट किया गया था.
5 हजार रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद एसआई महेश सिंह ने सफाई देते हुए कहा था कि राजकुमार ने उसे मिठाई खाने के लिए पैसा खुद देकर फर्जी तरीके से फंसा दिया है. अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) सुभाष चंद्र दुबे ने कहा कि रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद एसआई महेश सिंह की विभागीय जांच कराई गई थी. महेश सिंह ने अपने बचाव में जो भी तर्क और तथ्य रखे वह आधारहीन और असत्य थे. महेश सिंह के कृत्य से अनुशासित पुलिस बल की छवि समाज में धूमिल हुई है और एक गलत संदेश गया है.
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