वाराणसी: ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में कमीशन की कार्यवाही के दौरान सोमवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बनाए गए तालाब में शिवलिंग मिलने का दावा चर्चा में आया. इस सूचना के बाद अब मुस्लिम पक्ष इस मामले में खुल कर बोल रहा है.
आज दोपहर में मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने इस प्रकरण में कुछ भी बोलने से इनकार किया था. वकीलों ने इस मामले में मिले सबूतों को कोर्ट में पेश किए जाने की बात कही थी. लेकिन शाम के समय दिल्ली में बैठे एक समाजसेवी और वकील मोहम्मद असद हयात के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट की गई. इस पोस्ट में शिवलिंग मिलने से जुड़े कुछ पुराने दस्तावेज और उस फव्वारे की फोटो के साथ पुराना वीडियो शेयर किया गया.
सोशल मीडिया पर की गई यह पोस्ट तेजी से वायरल हुई. इस पोस्ट के संबंध में जब अंजुमन इंतजा मियां मसाजिद कमेटी के वकील तौहीद खान और सेक्रेटरी यासीन से बात की गई, तो उन्होंने सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट को सही बताया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट बिल्कुल सही है और अंजुमन इंतजामियां यह स्पष्ट करता है कि 'जिसे हिंदू पक्ष की तरफ से शिवलिंग बताया जा रहा है, वह शिवलिंग नहीं बल्कि टूटे हुए फव्वारे का हिस्सा है.'