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बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार में धांधली का आरोप - दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद की नियुक्ति में धांधली

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद की नियुक्ति के लिए 23 नवंबर को साक्षात्कार हुआ. आरोप है कि इस साक्षात्कार को पक्षपातपूर्ण और भ्रष्ट तरीके से संपन्न कराया गया है.

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धांधली का आरोप.

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Published : Nov 27, 2019, 3:12 PM IST

वाराणसी: बीएचयू के दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के चयन प्रक्रिया पर अभ्यर्थियों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. बीएचयू द्वारा 5 असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद के लिए कुल 69 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. इनमें एक सामान्य, एक ओबीसी, एक आर्थिक रूप से कमजोर जनरल कैटेगरी और दो अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पद शामिल थे. वहीं एक अभ्यर्थियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीएचयू के कुलपति से की है.

डॉ. जयंत उपाध्याय ने लगाया धांधली का आरोप.

डॉ. जयंत उपाध्याय ने बताया कि दर्शन एवं धर्म विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए जो इंटरव्यू लिया गया उसमें वह अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इंटरव्यू में जिस तरह का व्यवहार किया गया वह पूरी तरह से अनैतिक था. उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया में भ्रष्टाचार होने की बात भी कही. जयंत उपाध्याय ने बताया कि 20 अभ्यर्थियों का इंटरव्यू बचा हुआ था, इससे पहले ही बाहर से आए एक्सपर्ट वहां से चले गए और उन्होंने इंटरव्यू का क्रम पूरा नहीं किया. इसके बाद 11 बजे के करीब कुलपति महोदय भी साक्षात्कार छोड़कर चले गए.

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डॉ. जयंत उपाध्याय ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिन अभ्यर्थियों का दो वर्गों में इंटरव्यू होना था, उनका इंटरव्यू केवल एक वर्ग में हुआ, जबकि हम सबको दो वर्गों का कॉल लेटर मिला हुआ है. ओबीसी वर्ग के इंटरव्यू के दौरान क्रम को भंग करके इंटरव्यू लिया गया. उन्होंने कहा कि क्रम भंग करके इस इंटरव्यू को सुनियोजित ढंग से कराया गया. उन्होंने मांग की है कि इसकी जांच होनी चाहिए, तब लिफाफा खुलना चाहिए. इसकी जांच के लिए डॉ. जयंत उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शिकायत की है. उनके साथियों ने कुलपति को भी लिखित में शिकायत की है.

साक्षात्कार की जो कमेटी होती है, उसका एक नियम होता है. अगर कोई भी बीच से चला जाता है तो वह कमेटी तुरंत भंग हो जाती है. इसमें सबसे पहले जो हमारे गेस्ट टीचर थे, वह चले गए और उनके थोड़ी देर बाद कुलपति भी चले जाते हैं. उसके बाद भी साक्षात्कार होता रहा, यह पूरी तरह से अन्याय है.
-डॉ. जयंत उपाध्याय, अभ्यर्थी

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