वाराणसी: पद्मभूषण पंडित बिरजू महाराज आज हमारे बीच नहीं हैं. पंडित बिरजू महाराज वैसे तो अवध घराने से ताल्लुक रखते थे और कथक की बारीकियों के साथ ही पूरे विश्व में इस घराने का नाम उन्होंने रोशन भी किया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अवध घराने से होने के बाद भी पंडित बिरजू महाराज का बनारस घराने से बड़ा ही गहरा रिश्ता था. यह रिश्ता इसलिए भी गहरा था, क्योंकि उनका ससुराल बनारस में था. आज भी कबीरचौरा की मशहूर संगीतकारों की गली में उनका ससुराल मौजूद है. ससुराल के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर आज भी उनकी स्मृतियां यहां पर रखी गई है. पुरानी तस्वीरों से लेकर उनके बैठने का स्थान और अन्य जगह आज उन्हें याद कर उनके ससुराल पक्ष के लोग भी इस दुख की घड़ी में उनकी स्मृतियों को देखकर उन्हें याद कर रहे हैं.
पंडित बिरजू महाराज का बनारस से बहुत ही गहरा रिश्ता था. काशी के गंगा घाट हो या फिर काशी की गलियां, पंडित बिरजू महाराज को यह बेहद पसंद आते थे. शायद यही वजह है जब भी बनारस उनका आना होता था तो वो खाली होने के बाद तुरंत अपने ससुराल पहुंच जाते थे. ससुराल में बनारसी स्वाद का आनंद लेने के साथ ही अपनी स्मृतियों को यहां पर मौजूद लोगों के साथ साझा करते थे. ठुमरी सम्राट पंडित महादेव मिश्र की बेटी व पंडित बिरजू महाराज के साले की पत्नी श्रीमती मीना मिश्रा घर के सबसे बड़े दामाद के जाने से बेहद दुखी हैं. उनका कहना है कि आज हमारे सर से एक बड़े का साया उठ गया. घर के सबसे बड़े दामाद होने के नाते वह पूरी जिम्मेदारियों के साथ हम सबका ध्यान रखते थे.
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