वाराणसी:काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के साथ ही बनारस में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. इससे बनारस की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिल रही है. इस दौरान वाराणसी आने वाले पर्यटक और श्रद्धालुओं की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए काम भी लगातार जारी है. लेकिन काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण की वजह से कुछ इलाकों की वजह स्थिति काफी खराब है. सबसे बुरे हालात गंगा घाटों के हैं. जो धाम के आसपास बसे हैं. इनमें मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, ललिता घाट, मीरघाट और त्रिपुरा भैरवी घाट शामिल हैं.
काशी में एक तरफ श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और दूसरे तरफ धाम के निर्माण के दौरान जमींदोज किए गए मकानों के नीचे सीवर लाइन का सर्वे होना अब परेशानी का सबब बन रहा है. सुबह-शाम सीवर ओवरफ्लो होने की कंडीशन में गंगा घाटों की स्थिति बद से बदतर हो जाती है. जो हर किसी को परेशान कर रही है. खास तौर पर यहां आने वाले श्रद्धालु जो पूरे सद्भाव के साथ गंगा में डुबकी लगाकर बाबा के दर्शन के लिए निकलते हैं. उन्हें इसी गंदे पानी और कई बार तो शौच से हो तक कर गुजरना पड़ता है. जो अपने आप धर्म और आस्था पर गहरी चोट मानी जा सकती है.
सीवर की समस्याःदरअसल विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, नीलकंठ समेत कई इलाकों में मौजूद मकानों को धराशाई करके निर्माण किया गया. मणिकर्णिका घाट जाने वाले रास्ते पर पड़ने वाला सीवर भी ललिता घाट पर बनाया गया. इससे सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी इसकी चपेट में आया. इसकी वजह से सीवर व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई.
बारिश के दिनों में तो पूरा मणिकर्णिका घाट सीवर के पानी में ही डूबा रहता है. इसकी शिकायत करने के बाद सीवर को डाइवर्ट करके मणिकर्णिका घाट के बगल में बनाए गए सीवर पंपिंग सेट से कनेक्ट किया गया. लेकिन, यह सुविधा अभी भी स्थिति को सुधार नहीं सकी है. हालात यह हैं कि अभी भी धाम से सटे गंगा घाटों पर स्थिति बद से बदतर है. सीवर का पानी सीधे गंगा में जाता है. जो गंगा को तो प्रदूषित करता ही है साथ ही साथ गंगा घाटों की स्थिति को भी बिगाड़ने का काम कर रहा है.
स्थानीय लोगों का आरोपःस्थानीय निवासी जटा शंकर द्विवेदी ने बताया कि विश्वनाथ धाम निर्माण के दौरान इन चीजों को पूरी तरह से इग्नोर किया गया. मणिकर्णिका घाट पर मौजूद एक सुलभ शौचालय को भी तोड़ दिया गया. जिसकी वजह से यहां आने वाले सब यात्री और श्रद्धालुओं को शौच के लिए भी खुले में जाना पड़ता है. वो भी तक जब पूरे वाराणसी को खुले में शौच मुक्त घोषित किया गया है. यहां खुले में किया गया शौच गंगा घाट से होते हुए सीधे गंगा में तो जा ही रहा है साथ ही श्रद्धालुओं की आस्था पर भी चोट पहुंचा रहा है. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि धाम के निर्माण के दौरान सीवर व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया गया. एसटीपी बनाने की बात थी लेकिन उसका निर्माण भी नहीं हुआ. जिसकी वजह से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.