वाराणसी: काशी का सारंग नाथ मंदिर देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने से सैलानियों और दर्शनार्थियों को अपनी तरफ खींच लाता है. यहां के जैसा मौजूद शिवलिंग आपको पूरी दुनिया में किसी और मंदिर में नहीं मिलेगा. यह काशी है, काशी की अपनी शक्ति है और इस शक्ति को देने वाले महादेव सारंग नाथ मंदिर में विराजते हैं. वह भी अकेले नहीं, बल्कि अपने साले सारंग ऋषि के साथ.
यहां शिव और उनके साले की एक साथ होती है पूजा. सारंग नाथ मंदिर, वह मंदिर है जहां एक ही अरघे में आपको दो शिवलिंग मिलेंगे. यह दो शिवलिंग दुनिया के किसी और मंदिर में नहीं मिलेंगे. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सती के बड़े भाई सारंग ऋषि को भगवान शिव से वरदान प्राप्त था और उसी वरदान के चलते खुद भगवान शिव के साथ उनको पूजा जाता है. भक्तों का कहना है यह एक ऐसा मंदिर है, जहां कोई भी मनौती मांगो तो वह पूरी हो जाती है.
सारंग नाथ मंदिर में एक अरघे में दो शिवलिंग बसने की कहानी के पीछे कई तरह के लोग तथ्य बताए जाते हैं. इनमें से सबसे प्रचलित कहानी यह है कि सारंग ऋषि ने अपनी बहन की शादी महादेव से होने का विरोध किया था और महल बनवाने की चेष्टा की थी, जिसमें वह भगवान शिव और अपनी बहन सती को रख सके. जब उन्होंने महादेव के पास आकर इस तरह की बात रखने का प्रयास किया तो यहां आने से पहले ही उन्हें सपने में पूरी काशी स्वर्ण की नजर आई, जिसे वह अपनी भूल मानकर काशी में तपस्या करने लगे और भगवान शिव को याद करने लगे.
सारंग ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया था कि उस दिन से वह भगवान शिव के साथ ही पूजे जाएंगे. मंदिर के पुजारी का कहना है कि भगवान शिव सावन के महीने में सारंग नाथ मंदिर में आकर वास करते हैं. साथ ही इस मंदिर में आने वाले भक्तों की किसी भी मन्नत को वह खाली नहीं जाने देते. यही वजह है कि यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.