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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में चरखा बदल रहा महिलाओं की किस्मत, जानिए कैसे बन रही हैं आत्मनिर्भर - खादी के ब्रांड एंबेसडर पीएम मोदी

खादी की पहचान किसी से भी छिपी नहीं है. खादी का मतलब है भारतीय परिधान. आज इसी खादी का बड़ा मार्केट बन चुका है. खादी ग्रामोद्योग का एक प्लान वाराणसी में बखूबी काम कर रहा है. इसके माध्यम से महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनको स्वरोजगार के साधन भी उपलब्ध हो रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 11, 2023, 10:01 PM IST

वाराणसी:देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं खादी के ब्रांड एंबेसडर हैं. उन्होंने खादी को एक नई पहचान दी है. साल 2014 से उन्होंने खादी को अपनाने और उसके उद्योग को विस्तार देने की मुहिम चला रखी है. इसी का परिणाम है कि उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आदर्श गांव सेवापुरी में इसका असर दिख रहा रहा है. यहां महिलाएं खादी के मामले में अव्वल बनती जा रही हैं. इसके साथ ही महिलाएं आत्मनिर्भर भी बन रही हैं. पूर्वांचल साल दर साल महिलाओं का रुझान खादी में बढ़ता जा रहा है.

खादी सेक्टर में महिलाओं की 75 फीसदी भागीदारी:खादी निदेशक एसएन खंडेलवाल ने बताया कि 'खादी ने महिलाओं को बहुत सशक्त बनाया है. हमारे यहां वर्किंग महिलाएं ज्यादा हैं. लगभग 75 फीसदी महिलाओं की भागीदारी खादी सेक्टर में है. साल 2021-2022 में खादी से जो रोजगार मिला था, वह लगभग 20,400 का था. इसमें लगभग 16,700 महिलाएं इसके अंतर्गत काम कर रही हैं. इसी तरह साल 2022-2023 में भी कुल 26,000 के लगभग रोजगार मिला थे, जिनमें से लगभग 19,000 महिलाओं ने उसमें काम किया था. खादी में काम कर रही महिलाएं मुख्य रुप से कताई का काम करती हैं.


महिलाओं का प्राथमिकता के आधार हो रहा चयन:उन्होंने बताया, 'हमारी एक स्कीम और है रोजगार ग्रामोद्योग विकास योजना. उसमें भी हम लोग छोटे-छोटे कारीगरों को इम्प्लीमेंट्स बांटते हैं. इसमें हमारा मुख्य टारगेट महिलाओं का ग्रुप हैं. इस क्षेत्र में भी महिलाएं आगे आ रही हैं. कुम्हार के काम में भी वे काफी लाभांवित हो रही हैं. उन्हें इलेक्ट्रिक चाक बांटे गए थे. आंकड़ों में बात करें तो पिछली साल हमने 200 पॉटर व्हील्स बांटे थे, जिसमें से लगभग 137 महिलाएं थीं. इस बार जो हमारे पास टारगेट आए हैं वो 500 पॉटर व्हील्स के हैं. उसमें भी हमने महिला कारीगरों को चयनित किया है. ऐसे में ग्रामोद्योग विकास योजना से भी महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं.'

खादी के माध्यम से मिले रिकॉर्ड रोजगार:खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन ने पिछले 9 वर्षों में रोजगार देने में रिकॉर्ड बनाया है. विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2013-14 में जहां संचयी रोजगार 130,38,444 था. वहीं, 2022-23 में 36% की वृद्धि दर्ज करते हुए यह 177,16,288 तक पहुंच गया है. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2013-14 में सृजित 5,62,521 नये रोजगार अवसरों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 70% की वृद्धि के साथ कुल 9,54,899 रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं. खादी वस्त्रों के उत्पादन और बिक्री में वृद्धि का लाभ खादी क्षेत्र से जुड़े खादी कारीगरों को भी मिल रहा है. वित्तीय वर्ष 2013-14 के बाद से उनके पारिश्रमिक में 150% से अधिक की वृद्धि की गई है. हाल ही में खादी कारीगरों की मजदूरी में 33% से अधिक की वृद्धि की गई है.

इस साल खादी उत्पादों की हुई रिकॉर्ड बिक्री:सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर खादी इंडिया के दिल्ली विक्रय केंद्र ने एक ही दिन में 1.34 करोड़ रुपये की खादी उत्पाद बिक्री का नया रिकॉर्ड बनाया है. पिछले वर्ष खादी और ग्रामोद्योग से निर्मित उत्पादों की रिकॉर्ड 1,15,000 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी. इसके अलावा अक्टूबर के महीने में आयोजित खादी उत्सव-2022 में 3.03 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की गई थी. आंकड़ों के मुताबिक, स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के उत्पादों का कारोबार 1.34 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है.

ग्रामीण क्षेत्रों में 9,54,899 नई नौकरियां:खादी उद्योग विभाग के मुताबिक, पिछले 9 वित्तीय वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में कारीगरों द्वारा बनाए गए स्वदेशी खादी उत्पादों की बिक्री में 332% की वृद्धि हुई है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में जहां खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों का कारोबार 31,154 करोड़ रुपये था. वहीं, वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह बढ़कर 1,34,630 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. जो अब तक का सबसे अच्छा कारोबार है. केवीआईसी ने ग्रामीण क्षेत्रों में 9,54,899 नई नौकरियां पैदा करके एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है. वित्तीय वर्ष 2013-14 में जहां उत्पादन 26,109 करोड़ रुपये था. वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह 268% की छलांग के साथ 95,957 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

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