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Varanasi Dhrupad Mela : काशी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर 49वां ध्रुवपद मेला शुरू - Dhrupad Mela varanas

काशी के प्रसिद्ध तुलसी घाट पर 49वें ध्रुपद मेले (Dhrupad Mela varanasi) की शुरुआत हुई. इसकी शुरुआत वर्ष 1975 में हुई थी. इस चार दिवसीय कार्यक्रम में देश-विदेश के परफॉर्मर और लोग आते हैं.

Dhrupad Mela varanasi
Dhrupad Mela varanasi

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Published : Feb 16, 2023, 12:37 PM IST

वाराणसीः काशी में बुधवार को 49वें ध्रुपद मेले (Dhrupad Mela varanasi) का शुभारंभ हुआ. तुलसी घाट पर गंगा किनारे कलाकारों ने अपनी प्रस्तुती दी. मेले का शुभारंभ संकट मोचन मंदिर के महंत प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र और पद्मश्री राजेश्वर आचार्य और पद्मश्री ऋत्विक सान्याल, महाराजा बनारस डॉ. अनंत नारायण सिंह ने दीप जलाकर किया. 15 फरवरी को शुरू हुआ यह मेला 18 फरवरी 2022 तक चलेगा. कार्यक्रम में शाम 7:00 बजे से रात 11 बजे तक कलाकारों की प्रस्तुति होगी.

काशी में ध्रुपद मेले में शामिल विदेशी श्रोता

महाराजा बनारस डॉ. अनंत नारायण ने बताया कि 'तुलसी घाट पर महाराजा बनारस विद्या न्यास मंदिर और ध्रुपद समिति के तत्वाधान में 49वें अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेले का शुभारंभ किया गया. यह मेला 1975 से लेकर होता चला आ रहा है. यह अन्नविक्ष परंपरा है और चलती आ रही है. हम वर्ष नहीं गिनते, बस यह चाहते हैं कि अन्नविंक्ष परंपरा चलती रहे.' बता दें कि 1975 में महाराजा बनारस ने इस मेले का शुभारंभ कराया था. इस अंतरराष्ट्रीय ध्रुपद मेल के 4 दिवसीय आयोजन में विदेशी कलाकारों को आमंत्रित किया गया है. प्रस्तुति देवव्रत मिश्र ने राग यमन में आलाप गौढ़ के पश्चात चौताल में गतकारी की प्रस्तुति दी.

काशी में ध्रुपद मेला में रखे वाद्य यंत्र

प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि 'ध्रुपद मेले का 49वां महोत्सव मनाया जा रहा है. इसमें देश-विदेश के श्रोता और कलाकार शामिल होंगे. आज मेले का उद्घाटन किया गया. 1975 से यह कार्यक्रम चल रहा है इस फेस्टिवल को हम अनोखा मानते हैं जहां श्रोता और गायक दोनों विदेशों से आते हैं. शिव की नगरी है और शिवरात्रि से भी यह कार्यक्रम जुड़ा हुआ है. महाराजा बनारस विश्व में सहयोग करते हैं और परंपरा को निभाने के लिए आते हैं. इस बार भी आए हैं गणपत मेले में नए कलाकारों को भी मौका दिया जा रहा है.'

गौरतलब है कि ध्रुपद मेले के पहले दिन देवव्रत मिश्र सुरबहार बनारस घराना, श्याम रस्तोगी दिल्ली, पंडित राज खुशीराम पखावज लखनऊ, लोपामुद्रा भट्टाचार्य दिल्ली, पंडित शैलेंद्र पाठक गायन रांची. संजय वर्मा विचित्र वीणा वाराणसी, आशुतोष भट्टाचार्य गायन वाराणसी ने शानदार प्रस्तुत दी जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध कर दिया.

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