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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोहः धोती-कुर्ता और साफा पहनकर विद्यार्थियों ने ली डिग्रियां, 59 को मिला मेडल - संस्कृत विश्वविद्यालय ने दी 14167 उपाधियां

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय(Sampurnanand Sanskrit University) ने अपना 41वां दीक्षांत समारोह(Sanskrit University Convocation) मनाया. जहां विद्यार्थियों को 14167 उपाधियां और 30 मेधावियों को 59 मेडल दिए गए. इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रही.

वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय
वाराणसी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 25, 2023, 5:41 PM IST

धोती कुर्ता साफा में दिखे ज्योतिष के विद्वान

वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय शनिवार को संस्कृत की परंपरा के पूर्ण रंग में रंगा हुआ नजर आया. जहां पर सफेद कुर्ता, धोती, पीला साफा व सफेद टोपी में आचार्य के विद्वानों ने उपाधियां हासिल कीं. मौका था संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का. विश्वविद्यालय ने अपना 41वां दीक्षांत समारोह में 14,167 विद्यार्थियों को उपाधियां प्रदान की. इसके साथ ही 30 मेधावियों को 59 मेडल भी प्रदान किए गए हैं. अथर्ववेद में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय के छात्र दीपक को 5 मेडल मिले हैं.

14167 को उपाधियां वितरित, 30 मेधावियों को 59 मेडल
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित 41वें दीक्षांत समारोह का आगाज शिष्ट यात्रा, मंगलाचरण व कुलगीत के जरिए हुआ. इस दौरान लगभग 2 घंटे संस्कृत के शब्दों का वाचन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपति व उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की. वहीं, मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी रहे. जिन्होंने इस वर्ष अपना दीक्षांत भाषण दिया. इस दौरान हजारों संस्कृत स्कॉलर्स आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री और आचार्य विश्वविद्यालय ने समाज के लिए दिए. इन सभी को उनकी उपाधियां दी गईं.
आचार्य की 8103 और शास्त्री की 5040 उपाधियां दी गई
एक ही विद्यार्थी को मिले पांच मेडल:संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति बिहारी लाल शर्मा ने बताया 'दीक्षांत में विश्वविद्यालय में कुल 14167 उपाधियां वितरित की गईं. जिसमें आचार्य की 8103 और शास्त्री की 5040 उपाधियां रही हैं. इसमें छात्राओं की कुल संख्या 4478 रही है. वहीं, 30 टॉपर्स को कुल 59 मेडल भी प्रदान किए गए हैं. पीएचडी की बात करें तो इसमें भी 63 डिग्रियां मंच से प्रदान की गईं. खास बात यह है कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किसी एक विषय में सबसे ज्यादा नंबर लाने पर दो छात्रों को एक ही मेडल भी प्रदान किया गया. इस बार मास कम्युनिकेशन, पुरातत्व और संग्रहालय और डीलिट के लिए किसी का सेलेक्शन नहीं किया गया था. इसलिए इन विधाओं में डिग्रियां नहीं दी गईं.
सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय के छात्र दीपक को 5 मेडल मिले
डिग्री पाकर खिल उठे विद्यार्थियों के चेहरे: विश्वविद्यालय के मंच से अपनी उपाधि पाकर विद्यार्थियों के चेहरे खुशी से खिले हुए नजर आ रहे थे. उपाधि मिलने की खुशी में विद्यार्थियों ने कहा, 'दीक्षांत उनके जीवन का सबसे अनमोल समय होता है. जब वह शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपने दीक्षा पूरी करते हैं.' उन्होंने बताया, 'इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है और इस वर्ष उन्होंने अपने डिग्रियां हासिल कर लीं, जो उनके लिए एक गौरव का पल है.' बता दें कि आज आयोजिक हुए दीक्षांत समारोह के लिए तैयार किया गया कार्ड संस्कृत भाषा में था. कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने संस्कृत पाठशाला की बच्चियों को कपड़े का बैग गिफ्ट किया.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह
दीपक द्विवेदी को अथर्ववेद में मिले 5 मेडल:संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र प्रयागराज के रहने वाले दीपक द्विवेदी ने बताया, 'आज आचार्य की शिक्षा पूरी हो गई है. आज मुझे अथर्ववेद में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर 5 मेडल मिले हैं. आज मुझे बहुत ही ज्यादा खुशी हो रही है, जिसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है. उन सभी गुरुओं को जो शुरू से लेकर आज तक मेरा मार्गदर्शन करते रहे उन सभी को सादर प्रणाम करता हूं. माता-पिता का भी आशीर्वाद रहा है. मुझ पर बाबा विश्वनाथ की कृपा हुई है. जब-जब काशी आया हूं तब-तब यहां से कुछ लेकर ही गया हूं. इसके बाद पीएचडी करनी है और अथर्ववेद पर आगे काम करना है. संस्कृत को आगे बढ़ान का काम करते रहेंगे.'ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के लैब का उद्घाटन: वहीं, विश्वविद्यालय पहुंची राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के लैब का उद्घाटन किया. बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से 1 करोड़ 16 लाख रुपए से लैब तैयार किया गया है. इस लैब के माध्यम से घर बैठे लोगों को भारत की प्राचीन विधाओं और ज्ञान-विज्ञान से परिचय कराया जा रहा है. इस सेंटर से 10 कोर्सेज का संचालन किया जा रहा है, जोकि घर बैठकर अध्ययन करने वालों के लिए आसान साबित हो रहा है. प्रोफेसर और विद्वान अपनी ऑनलाइन क्लास यहीं से चलाते हैं. संस्कृत भाषा शिक्षण, अर्चक, कर्मकांड, ज्योतिष वास्तु विज्ञान, योग, व्याकरण दर्शन, वेदांत जैसे विषयों के पाठ्यक्रम ऑनलाइन पढ़ाए जाते हैं.यह भी पढ़ें: 12वीं शताब्दी में लिखित राजतरंगिणी संस्कृत ग्रंथ में है अखंड भारत और कश्मीर की सच्चाई

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