वाराणसी: काशी को मंदिर, शिवालयों और घाटों का शहर कहते हैं. यहां के हर गली-चौराहों पर महादेव के स्वरूप का दर्शन करने को मिलता है. यही वजह है कि काशी में जो भी आता है वह महादेव के विभिन्न स्वरूपों का दर्शन कर खुद को अभिभूत पाता है. कहते हैं कि काशी में आने पर यदि महादेव के दर्शन हो जाए, तो मानो काशी में आना और मनुष्य योनि में आना सफल हो गया.
कैलाशेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित हैं 171 शिवलिंग. यहां 171 शिवलिंग के होते हैं दर्शनयूं तो काशी में मौजूद सभी शिवालयों का अपना अलग महत्व है, लेकिन आज हम आपको ऐसे शिवलाय का दर्शन कराएंगे, जहां आपको मंदिर में महादेव के 171 स्वरूप देखने को मिलेंगे और उनके दर्शन का अपना अलग महत्व है. काशी में श्री निर्मल शिवानंद आश्रम है, जहां स्थापित है कैलाशेश्वर महादेव का मंदिर. इसकी अपनी अद्भुत छटा है. यहां स्थापित 171 शिवलिंग ऐसे प्रतीत होते हैं, मानो पूरे विश्व में स्थापित शिवलिंग के दर्शन हो गए हों. यहां शिव के 108 नाम, 12 ज्योतिर्लिंगों के 12 नाम, अष्टद्विगपाल के 8 नाम, अष्टधातु और नवग्रह के नाम आपको मुद्रित दिखेंगे. खास बात यह है कि इसी सब नाम से यहां महादेव अलग-अलग स्वरूप में स्थापित हुए हैं.
अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान हैं महादेवकैलाशेश्वर महादेव मंदिर के महंत श्री निर्मल रामनाथ शर्मा ने बताया कि 1975 में इस मंदिर की स्थापना उनके पिता जी ने की थी. इस मंदिर में कुल 171 शिवलिंग हैं. इसमें 108 शिव के नामों से स्थापित शिवलिंग, 12 ज्योतिर्लिंग, नवग्रह, अष्टधातु, अष्टद्विगपाल, त्रिमूर्ति के साथ कुल 171 शिवलिंग स्थापित हैं. मुख्य में नर्मदेश्वर, कैलाशेश्वर महादेव है, जोकि अर्धनारीश्वर रूप में यहां पर विराजमान हैं. इसमें महादेव, मां पार्वती और मां गंगा को उल्लेखित किया जाता है. उन्होंने बताया कि काशी में शिवलिंग का बहुत महत्व है. सावन और शिवरात्रि में यहां शंकर महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है. यहां पर स्थापित शिवलिंग के दर्शन से कष्टों का निवारण होता है. इसीलिए यहां काफी संख्या में भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. परंतु इस बार महामारी के कारण सभी लोग बाहर से ही दर्शन कर चले जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर प्राण प्रतिष्ठा कर शिवलिंग को स्थापित किया गया है. एक शिवलिंग को स्थापित करने में 3 दिन का समय लगता है और 3 दिनों तक पूजा की जाती है.