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16 साल पहले धमाकों से कैसे दहली थी काशी, कैसे हत्थे चढ़ा था वलीउल्लाह? जानिए सब कुछ - Varanasi blast verdict

वाराणसी में 16 साल पहले सीरियल ब्लास्ट से काशी दहल उठी थी. उस आतंकी हमले में 16 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी और कई लोग घायल हुए थे. इसके आरोपी वलीउल्लाह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. सोमवार को कोर्ट ने वलीउल्लाह को उस ब्लास्ट का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुना दी.

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वाराणसी: 16 साल बाद बनारस के दोषी वलीउल्ला को मिली फांसी की सजा, जानिए उस वक्त कैसे दहला था धार्मिक शहर बनारस

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Published : Jun 6, 2022, 7:36 PM IST

Updated : Jun 6, 2022, 7:54 PM IST

वाराणसी: संकट मोचन ब्लास्ट मामले में 16 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है. 7 मार्च 2006 में बनारस में संकट मोचन मंदिर ही नहीं बल्कि कैंट रेलवे स्टेशन पर भी सीरियल ब्लास्ट हुए थे. उन धमाकों से काशी दहल उठी थी. सीरियल धमाकों में 16 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. पहली बार काशी में इतना बड़ा सीरियल ब्लास्ट हुआ था. संकट मोचन मंदिर में हुए धमाके में सात से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. उस सीरियल ब्लास्ट के दोषी वलीउल्लाह को पुलिस ने फोन कॉल के जरिए ट्रेस किया था और लखनऊ में दबोच लिया था.

दरअसल, 7 मार्च 2006 को जब काशी में सीरियल ब्लास्ट हुए तो उसके बाद पुलिस और एसटीएफ के साथ एटीएस की टीम जांच में जुटी थी. इस दौरान स्थानीय पुलिस को कुछ ऐसे सुराग मिले जिसने सारे मामले की दिशा ही बदल दी थी. जांच के दौरान बनारस में कुछ ऐसे नंबर एक्टिव मिले थे जो ब्लास्ट के कुछ देर पहले और ब्लास्ट के कुछ देर बाद ही एक्टिव थे. इसमें वलीउल्ला का नंबर भी शामिल था. इसी शक के आधार पर वलीउल्लाह की तलाश शुरू की गई थी और उसकी गिरफ्तारी लखनऊ से की गई थी. इसके बाद उसने एक-एक कर सारे राज उगले थे.

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सात मार्च 2006 को पहला बम धमाका शाम 6.15 बजे संकटमोचन मंदिर में हुआ था. उस धमाके में सात लोग मारे गए थे और 26 लोग घायल हुए थे. 15 मिनट बाद 6.30 बजे दशाश्वमेध मार्ग पर कुकर बम मिला था. 7 मार्च को ये धमाके बहुत ही सुनियोजित तरीके से प्रॉपर रेकी के बाद किए गए थे. शाम 6.35 बजे कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी विश्राम कक्ष के सामने धमाका हुआ था. यहां 9 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे. मामले में चार अन्य आतंकियों के नाम सामने आए थे. एक आतंकी व बम धमाके का मास्टरमाइंड मोहम्मद जुबैर कश्मीर में हुए मुठभेड़ में मारा जा चुका है. जबकि कुछ की तलाश अभी भी जारी है.

सीरियल धमाके के बाद पुलिस ने जांच शुरू की और पुलिस की विवेचना के दौरान वलीउल्लाह के अलावा बशीर, जकारिया, मुस्तफीज व मोहम्मद जुबैर भी आरोपित बनाए गए. मोहम्मद जुबैर को नौ मई 2006 को जम्मू कश्मीर में एलओसी पर पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है. वह बागपत के टाडा गांव का रहने वाला था. बशीर, जकारिया, मुस्तफीज जो बांग्लादेश के रहने वाले हैं, इन्हें पुलिस आज तक नहीं पकड़ पाई है. वलीउल्लाह का केस लड़ने से उस वक्त वाराणसी के वकीलों ने मना कर दिया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने केस गाजियाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.

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Last Updated : Jun 6, 2022, 7:54 PM IST

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