घटना की जानकारी देते उन्नाव के एडीएम वित्त एवं राजस्व नरेंद्र सिंह उन्नावःजिले की हसनगंज तहसील में गुरुवार को कब्जा हटाने पहुंची टीम को देखकर एक महिला ने आत्मदाह का प्रयास किया. महिला ने अपनी झोपड़ी में आग लगा ली और देखते ही देखते आग तेज हो गई. महिला की साड़ी भी उसकी चपेट में आ गई. मौके पर मौजूद तहसील टीम के लोगों ने किसी तरह पानी और बालू डालकर आग पर काबू पाया. देर रात एडीएम हसनगंज और एसडीम ने मौके पर पहुंच कर महिला और परिजनों से बात कर मामले को शांत कराया.
प्रशासन के अनुसार, हसनगंज तहसील की ग्राम तेलियानी की नवीन परती की जमीन पर अजय पुत्र सुखदेव ने कब्जा कर रखा है. गुरुवार देर शाम नायब तहसीलदार के नेतृत्व में तहसील की टीम कब्जा हटाने पहुंची थी. अजय की पत्नी रानी का आरोप है कि पिछले कई दशक से उसके परिवार का इसी जगह पर कब्जा है. सभी इस जगह पर झोपड़ी बना कर रहते हैं. उनके पास इस जगह के अलावा कोई और घर नहीं है. उन्हें यहीं पर बनने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना भी मिला है, जिसका निर्माण उनके द्वारा करवाया जा रहा था. इसी जगह पर वह एक दुकान रखकर अपनी आजीविका चलाती है.
मीडिया से बातचीत करते हुए रानी ने कहा, ये झोपड़ी ही हमारा घर है, इसे गिराया जा रहा था, इसलिए हम ने आग लगाई थी. इसी में हमारी दुकान है. बंधन बैंक से दो लाख तीस हजार का लोन लिया है. हर माह उसकी 10500 किस्त देनी होती है. अगर हमारा घर गिरा दिया जाएगा, तो हम कहां से पैसे देंगे. इसी झोपड़ी में हम रहते हैं और आगे दुकान कर रखी है. यही हमारी आजीविका का भी साधन है. इसीलिए हम आग लगा रहे थे. हमारी दो बेटियां हैं. हम मरना चाहते थे. हमारा यहां 40 साल से कब्जा है. हमारा सीएम आवास योजना का आवास इसी जमीन पर बनने को आया है. दूसरी किस्त आने के बाद हम यहीं पक्का आवास बना रहे थे.'
मामले को बिगड़ता देख एडीएम वित्त एवं राजस्व नरेंद्र सिंह और एसडीएम हसनगंज अंकित शुक्ला ने परिजनों से बातचीत कर समझाया बुझाया. इसके बाद मामला शांत हुआ. एडीएम वित्त एवं राजस्व नरेंद्र सिंह ने बताया कि तेलियानी गांव के अजय को आवास मिला था. वो उसको बनवा रहा था. इसकी शिकायत की गई थी कि यह ग्रामसभा की जमीन पर आवास बन रहा है. इसी शिकायत पर नायब तहसीलदार और लेखपाल आए थे. अजय की पत्नी ने भावावेश में आकर आग लगा ली थी. ऐसा नहीं था कि इसको जेसीबी या किसी अन्य चीज से ढाहाया जा रहा था. इनको किस तरीके से आवास मिला है यह देखा जाएगा, उसकी जांच कराई जाएगी. लेकिन बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर जब निर्माण शुरू किया गया था, तब तहसील प्रशासन किस नींद में सोया था. आखिर तब इन्हें क्यों नही रोका गया था.
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