उन्नाव:सूबे के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ भले ही प्रदेश में चौमुखी विकास कराने का दावा कर रहे हों, लेकिन उन्नाव के मियागंज के बनौनी रामपुर गांव को देखने के बाद मुख्यमन्त्री के सभी दावों की पोल खुलती नजर आती है. गांव में आज भी यहां के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पुल के सहारे ही आवागमन करते हैं.
उन्नाव: लकड़ी के पुल के सहारे नदी पार करने को मजबूर ग्रामीण - unnao news
उन्नाव जिले के मियागंज के बनौनी रामपुर गांव में कोई पुल न होने के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. गांव वालों ने मिलकर गांव के किनारे शारदा नहर पर एक लकड़ी का पुल बनाया और उसी से नदी पार करते हैं.
लकड़ी का यह पुल गांव के लोगों ने मिलकर बनाया है. गांव के किनारे शारदा नहर पर बने लकड़ी के पुल से रोजाना स्कूली छात्र से लेकर महिलाएं और नौकरी पेशा लोग रोजमर्रा के काम से निकलते हैं, लेकिन हैरत की बात तो यह की इनकी सुनने वाला कोई नहीं.
जिले के मियागंज ब्लॉक का बनौनी रामपुर एक ऐसा गांव है, जो ठीक शारदा नदी के मुहाने पर बसा है. नदी के किनारे बसे होने की वजह से गांव के लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों के लिए नदी पार करके जाना पड़ता था. जो कि किसी जोखिम से कम नहीं था.
शायद ही कोई ऐसा आलाधिकारी या नेता बचा हो जिसके चौखट पर ग्रामीणों ने नाक न रगड़ी हो.किसी को इनकी बेबसी पर दया नहीं आई. आखिरकार थक हारकर ग्रामीणों ने ठानी की वह पुल खुद ही बनाएंगे. महज 12 दिनों में इन ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर लकड़ी का ये पुल तैयार कर डाला.
900 परिवारों ने खुद बांस का पुल बना डाला और अपने रोजमर्रा के काम शुरु कर दिए. बांस का पुल भी महज खानापूर्ति से ज्यादा कुछ नहीं. जान जोखिम में डालकर निकलते लोगों को इस बात का इल्म है कि यह पुल कभी भी टूट सकता है. ग्रामीण आज भी पुल बनाने की मांग कर रहे हैं.