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उन्नाव: किसानों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं, आखिर कैसे चलेगा इनका जीवन - सैकड़ों किसान हुए परेशान

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में मवेशियों के वजह से किसान खेती नहीं कर पा रहे है. खेती करते भी हैं तो मवेशिया आकर फसलों को खा जाते हैं, जिससें किसानों को भारी नुकसान होता है. सैकड़ों किसानों के हजारों बीघा जमीन खाली पड़ी हुई है.

मवेशियों से परेशान हुए किसान

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Published : Sep 5, 2019, 12:42 PM IST

उन्नावःअन्ना जानवरों से किसानों को राहत देने के तमाम दावे जमीन पर झूठे नजर आ रहे हैं. खेती अब घाटे का सौदा बन चुकी है. किसानों का आलम यह है कि वह खेती से पलायन को मजबूर है. ब्लाक मियागंज के बेल्सी गोपी खेड़ा माखी और उसके आस-पास के 12 से अधिक गांव के तकरीबन पांच सैकड़ा किसानों मवेशियों से परेशान होकर खेतों में फसल नहीं बोई है. यहां सैकड़ों बीघा खाली पड़ी भूमि किसानों के दर्द की तस्दीक है.

मवेशियों से परेशान हुए किसान.


मवेशियों के कारण खेती नहीं कर पा रहे किसान
तहसील हसनगंज के रऊ करनाल संपर्क मार्ग पर माखी के पास बनी रेलवे क्रॉसिंग पार करते ही सड़क के दोनों तरफ सैकड़ों बीघा भूमि खाली पड़ी है. इसी के आगे माखी का मजरा बेल्सी बसा हुआ है. माखी का बेल्सी,चौधरी खेड़ा,खत्री खेड़ा, सधवा खेड़ा, बाबू खेड़ा, गोझा, अम्बर खेड़ा, टिकरा, भवानी खेड़ा के सैकड़ों किसानों ने इन अन्ना मवेशियों की वजह से खेतों को खाली छोड़ दिए हैं. बेल्सी निवासी फुलकुमारी बताती हैं कि अन्ना मवेशियों की वजह से बुआई नहीं की है.

सवाल करते ही वृद्धा फूलकुमारी की आंखों में आंसू आ गए. फूलकुमारी बताती हैं कि खेत में फसल की रखवाली करने के दौरान ही सांड ने उनके पति पर हमला कर दिया था. जिस कारण उनके पति की मौत हो गई थी. गांव के ही छोटेलाल पास की खाली पड़ी जमीन दिखाते हुए कहते हैं कि उन्होंने भी मवेशियों की वजह से अपनी 10 बीघा जमींन में कुछ नहीं बोया है. वहीं मनोज ने बताया कि सबकी हजारों बीघा जमीन परती पड़ी है और साथ ही यह बताते हैं कि गांव के कई सैकड़ा किसानों ने खेती से पलायन कर लिया है.


ग्रामीणों ने बताया अपना दर्द
नहर कोठी के पास भी खाली पड़े खेत नजर आते हैं यहां के किसानों ने बताया कि आस-पास तकरीबन 5 सैकड़ा से अधिक किसानों ने खेती से पलायन कर लिया है. 1000 बीघा के आसपास जमीन खाली पड़ी है और गांव की ही रहने वाली विंदेश्वरी ने अपने दर्द को बताया. उन्होंने कहा कि खेती में मकई और जोंडी की फसल बोई तो थी लेकिन उनके पति बूढ़े होने के कारण फसल को बचा न सके. खेत की रखवाली के समय जब गोवंश खेत में आते हैं तो उनको भगाने के समय वह किसानों पर हमला भी कर देते हैं. इसलिए वह खेत में खड़ी फसल को बचा न सकें. वहीं बेल्सी निवासी शिवराम बताते हैं कि लगभग 300 बीघे खेत खाली पड़े हैं जिनमें गोवंशाओं की डर से हम लोगों ने फसल नहीं बोई है. उन्होंने बताया कि अब हमारी उम्र 60 से ज्यादा हो गई है जिससे अब हम लोग इन गौवंशों से मुकाबला भी नहीं कर सकते. यहां पर लगभग 1000 की संख्या में गोवंश हैं. हम लोग शिकायत करें भी तो किससे, हम लोगों की कोई भी अधिकारी और नेता सुनते ही नहीं है


गौशाला बनवाने के नाम पर रखे गए सिर्फ ईंट
किसानों का कहना है कि क्षेत्र में एक अस्थाई गौशाला बनवाई गई थी जिसमें सिर्फ टीन शेड लगी है. आवारा जानवरों से राहत देने के लिए माखी के मजरा खुमान खेड़ा में अस्थाई गौशाला की न्यूव रखी गई थी, लेकिन किसानों को राहत नहीं मिली. यहां गौशाला के नाम पर कुछ ईट पड़े हैं तथा टीन सेड बना हुआ है. जानवर लाने और रखने के लिए कोई कर्मचारी नजर नहीं आता.

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कभी लहलहाती थी ज्वार व मक्के की फसल
खाली पड़ी जमीन में कभी ज्वार और मक्के की फसल लहलहाती थी. बेल्सी से लेकर बिरसिंहपुर तक का यह क्षेत्र मक्के और ज्वार का अच्छा उत्पादन करता था. आज यहां की जमीन खाली पड़ी है महज यहां के अन्ना मवेशी जिस के खेत में जाते हैं वही चंद घंटों में ही पूरा खेत चट कर जाते हैं. ऐसे में किसान सूबे की ईमानदार सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है कि जल्द ही उनकी इस समस्या का समाधान होगा. इस मामले में जिम्मेदार और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी वहीं लापरवाह अधिकारी और कर्मचारी सूबे की ईमानदार सरकार की छवि बिगाड़ने का काम कर रहे हैं.


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