उन्नाव: देश को कुपोषण से मुक्त कराने के लिए भले ही केंद्र सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. हाल ही में आए एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर है. खबर ने भले ही सूबे की सरकार के माथे पर बल ला दिया हो, लेकिन जिले में लापरवाह अधिकारियों की वजह से कुपोषित बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के दावे खोखले. 43 हजार बच्चे कुपोषित
सरकारी आकड़ों की मानें तो जिले में लगभग 43 हजार बच्चे कुपोषित हैं. हालांकि अधिकारी लगातार सरकारी योजनाएं चलकर कुपोषण को खत्म करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जनपद में कुपोषित बच्चों की संख्या अधिकारियों के सभी दावे झुठलाने के लिए काफी है.
कुपोषण मुक्त जिला बनाने के दावे फेल
कुपोषण पर नकेल लगाने में अधिकारी पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं. कुपोषण मुक्त उन्नाव बनाने के लिए भले ही जिले के अधिकारियों ने कुपोषित गांवों को गोद लेकर कुपोषण मुक्त बनाने के दावे किए थे. वो सभी दावे हवा हवाई साबित हुए और योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही सिमटकर रह गई. हालात ये हैं कि न तो उन गांवों में कुपोषण खत्म हुआ और न ही सरकारी योजनाओं का लाभ मिला.
जनपद में 39 हजार बच्चे पीली श्रेणी में, तो वहीं 4 हजार बच्चे रेड जोन में है. हालांकि कुपोषित बच्चों को पोषाहार देकर कुपोषण से मुक्त करने का काम किया जाता है. वहीं अति कुपोषित बच्चों का जिला अस्पताल के राहत और पुनर्वास वार्ड में भर्ती कराकर कुपोषण से मुक्ति दिलाने के प्रयास लगातार कर रहे हैं.
-दुर्गेश प्रताप सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी