उन्नाव: गंजमुरादाबाद ब्लॉक के 60 ग्राम पंचायतों में से 41 जगहों पर 1,017 मजदूरों को मनरेगा के तहत काम दिया गया है, लेकिन दावे के मुताबिक आधे से भी कम मजदूर काम पर पहुंच रहे हैं. इसी तरह लगभग सभी ग्राम पंचायतों पर शासन के निर्देशानुसार दस्तावेजों में मजदूरों की लंबी लिस्ट दर्शाकर उन्हें काम देने की बात कही जा रही है. पर जमीनी हकीकत देखने से प्रशासन की पोल खुलती नजर आ रही है.
ग्राम पंचायतों में सभी मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल रहा काम. 57 मजदूरों की जगह मात्र 13 मजदूर काम करते पाए गए
शासन के निर्देशानुसार लॉकडाउन में मनरेगा मजदूरों को रोजगार देने की मंजूरी दी गई है. इसी के तहत गंजमुरादाबाद ब्लॉक के 41 ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्य शुरू कर दिया गया है. कुल मिलाकर 1,017 मनरेगा मजदूरों को काम देने का दावा किया जा रहा है. इसमें जसरापुर गांव स्थित तालाब की खुदाई करने के लिए 57 मजदूरों को दस्तावेजों में काम करते दिखाया गया है, लेकिन निरीक्षण करने पर वहां सिर्फ 13 मजदूर ही कार्य करते मिले. ठीक इसी तरह भिखारीपुर, पतसिया, सिरधरपुर, एहतमाली, चकरोड में ज्यादा मजदूरों की लिस्ट तैयार कर जिला प्रशासन को भेजी गई है, लेकिन इन जगहों पर एक तिहाई से कम मजदूर काम करते पाए गए हैं.
तालाब की खुदाई में 57 मजदूरों की जगह लगे 13 मजदूर . कई ग्राम पंचायतों में काम संचालित होने की बात कही गई, लेकिन निरीक्षण के दौरान सुबह 10 बजे कार्य बंद पाया गया. इसी तरह खेरहन और कलवारी महमदाबाद में भी दो दिन से काम बंद है, जबकि दस्तावेजों में मजदूरों की लंबी लिस्ट दर्शाकर उन्हें रोजगार देने की बात कही जा रही है, लेकिन मौके पर आधे मजदूर भी काम करते नहीं दिख रहे.
मनरेगा मजदूरी के काम में हेराफेरी.