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धड़ल्ले से उड़ रही मानकों की धज्जियां, टेढ़ी पुलिया चौराहा बना मीट बाजार - लाइसेंसी मीट की दुकानें

राजधानी लखनऊ में इन दिनों चौराहों और सघन बाजारों में बिना मानक के धड़ल्ले से मीट के बाजार का मकड़जाल पैर पसार रहा है. दुर्गंध के वजह से आलम यह है, कि इस रास्ते से निकलने वाले यहां के स्थानीय निवासियों को मुंह ढक कर निकलना पड़ता है. वहीं, जिम्मेदार मौन नजर आ रहे हैं.

टेढ़ी पुलिया चौराहा बना मीट बाजार
टेढ़ी पुलिया चौराहा बना मीट बाजार

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Published : Oct 10, 2021, 8:01 AM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में इन दिनों चौराहों और सघन बाजारों में बिना मानक के धड़ल्ले से मीट के बाजार का मकड़जाल पैर पसार रहा है. वहीं, जिम्मेदार मौन नजर आ रहे हैं. लखनऊ की व्यस्त चौराहों में से एक टेढ़ी पुलिया चौराहा, ताड़ीखाना, आईआईएम जैसे दर्जनों चौराहों का आलम यह है कि चौराहे से चंद कदम की दूरी पर मनमाने ढंग से बिना मानक के मीट और मछली की बिक्री की जा रही है. इसकी वजह से यहां से गुजरने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.


दरअसल, लखनऊ के प्रमुख चौराहों पर बिना लाइसेंस के मनमाने ढंग से खुले में मेज सजाकर मीट की बिक्री की जा रही है. मानो वह कोई सब्जी बिक्रेता हों. इन लोगों के पास किसी तरह के आदेश तक नहीं है. जब इसको लेकर दुकानदारों से बात की जाती है तो, बेधड़क दबी जुबान से कहते हैं, कि यहां के स्थानीय प्रशासन की मदद से यह दुकाने हम खोलते हैं.

टेढ़ी पुलिया चौराहा बना मीट बाजार
राजधानी लखनऊ में करीब 2000 लाइसेंसी मीट की दुकानें हैं. वहीं दूसरी तरफ 5000 से अधिक दुकानें अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं. लखनऊ में 20 लाख लोग मांसाहार का प्रयोग करते हैं. जिसको देखते हुए 2017 में मांस बिक्री को लेकर कानून बनाया गया था. जिससे मानकों के अनुकूल दुकानों का संचालन किया जा सके. लेकिन दूसरी तरफ जिम्मेदार विभागों और स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के चलते इन दिनों अवैध रूप से मीट मांस का व्यापार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है.
टेढ़ी पुलिया चौराहा बना मीट बाजार


बता दें कि शासन प्रशासन ने मीट की बिक्री के लिए मीट कारोबारियों के लिए नियम और शर्तें बना रखी हैं, साथ ही मानकों पर ही मीट बिक्री की अनुमति दी है.

मुख्य शर्तें

  • मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 50 मीटर दूरी पर होना चाहिए.
  • धार्मिक स्थल के मेन गेट से 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए.
  • मीट की दुकान पर काम करने वाले को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा.
  • मीट की क्वालिटी पशु डॉक्टर से प्रमाणित करवानी होगी.
  • शहरी इलाकों में सर्किल ऑफिसर नगर निगम और फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से एनओसी लेनी होगी.
  • ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत सर्किल ऑफिसर और एफएसडीए एनओसी लेनी होगी.
  • बूचड़खाने से खरीदे गए मीट का पूरा हिसाब किताब रखना होगा.
  • दुकानदार बीमार या प्रेग्नेंट जानवर को नहीं काट सकेंगे.
  • एक दुकानदार को दुकान के कूड़े से निपटारा के लिए समुचित व्यवस्था करनी होगी.
  • मीट इंसुलेटेड फ्रीज वाली गाड़ियों से ही जाएगा
  • दुकान के बाहर पर्दे या गहरे रंग का क्लाथ लगाना होगा, जिससे मीट बाहर नजर न आए, साथ ही दुकान गीजर का प्रयोग करना होगा.
  • यदि एफएसडीए के किसी मानक का उल्लंघन किया जाता है, तो दुकानदार का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.

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वहीं, नगर निगम जोन सात के जोनल अधिकारी प्रज्ञा सिंह से बिना लाइसेंस के अवैध तरीके से मीट की बिक्री को लेकर बात की गई, तो उन्होंने बताया कि इसको लेकर बिना लाइसेंस के चल रहे दुकानों की जांच की जाएगी. वहीं, मानकों के उल्लंघन करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को किसी तरह की परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

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