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उन्नाव: ETV भारत की खबर के बाद RTO दफ्तर में हड़कंप, ARTO अनिल त्रिपाठी दफ्तर छोड़कर भागे

उत्तर प्रदेश के उन्नाव के आरटीओ दफ्तर में भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस बनाये जाने की खबर को etv भारत ने प्रमुखता से दिखाया था. इसके बाद आज पूरे कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा. एआरटीओ अनिल त्रिपाठी भी ETV भारत की टीम के पहुंचने से पहले ही अपने दफ्तर से नौ दो ग्यारह हो गए.

फर्जी लाइसेंस बनाये जाने की etv भारत की खबर का असर.

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Published : Sep 26, 2019, 9:47 PM IST

उन्नाव: जिले के आरटीओ दफ्तर में भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस बनाये जाने की खबर को ETV भारत द्वारा प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद पूरे कार्यालय में हड़कंप मच गया. जिस आरटीओ दफ्तर में दलालों की भीड़ लगी रहती थी, वहां आज सन्नाटा पसरा रहता है. यही नहीं, कल तक ट्रेनिंग स्कूलों के बारे में जानकारी देने की बात कहने वाले एआरटीओ अनिल त्रिपाठी भी ETV भारत की टीम के पहुंचने से पहले ही अपने दफ्तर से नौ दो ग्यारह हो गए. वहीं इस दौरान कई वाहन स्वामी अपना काम कराने के लिए इधर-उधर भटकते नजर आए.

फर्जी लाइसेंस बनाये जाने की ETV भारत की खबर का असर.

फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद आरटीओ दफ्तर में पसरा रहा सन्नाटा
उन्नाव के आरटीओ दफ्तर में चल रहे फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद आज पूरा दिन दफ्तर में सन्नाटा पसरा रहा. कागजों पर चल रहे मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की जानकारी के लिए ETV भारत के संवाददाता आरटीओ दफ्तर पहुंचे. काले कारनामों की पोल खुलता देख एआरटीओ अनिल त्रिपाठी कार्यालय से नौ दो ग्यारह हो गए. हैरानी की बात तो ये है कि कई बार कॉल करने के बावजूद अनिल त्रिपाठी ने फोन रिसीव नहीं किया.

इसे भी पढ़ें-उन्नाव: एआरटीओ अधिकारी की सरपरस्ती में बनाए जा रहे भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस

वाहन स्वामियों ने एआरटीओ पर लगाया लापरवाही का आरोप
वहीं जब वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों से उनके साहब के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी जानकारी न होने की बात कही. हालांकि इस दौरान आरटीओ दफ्तर पहुंचे वाहन स्वामियों ने कार्यालय के बाबू और एआरटीओ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पिछले एक सप्ताह से कार्यालय के चक्कर लगवाने का आरोप लगाया है.

अपने काले कारनामों का उजागर होने के डर से भले ही एआरटीओ अनिल त्रिपाठी अपना कार्यालय छोड़कर भाग निकले हों लेकिन आरटीओ कार्यालय में बांटे जा रहे मौत के सर्टिफिकेट का खुलासा जल्द ही होगा. अब सवाल ये है कि आखिर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर शिकंजा कसने की प्रशासन हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहा है.

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