उन्नाव: माह-ए-रमजान के 10 रोजे पूरे होते ही रहमत का अशरा खत्म हो गया. इसके साथ ही कई मस्जिदों में तरावीह में कुरान का एक दौर भी मुकम्मल हो गया है. इबादत में मशगूल रोजेदार आने वाले दिनों में रोजे रखने और नेक काम करने की दुआएं भी कर रहे हैं.
माह-ए-रमजान का दूसरा अशरा शुरू
- माह-ए-रमजान को 10-10 दिनों के तीन अशरों में भी जाना जाता है.
- पहले 10 दिन अल्लाह की रहमत पाने के लिए, दूसरा अशरा मगफिरत का और आखिरी अशरा गुनाहों से निजात का माना जाता है.
- गुरुवार को 10 रोजे पूरे होते ही पहला अशरा खत्म हो गया.
- दूसरे अशरे में रोजेदार अपने गुनाहों की मगफिरत की दुआ करेंगे. साथ ही अपने मरहूम के लिए भी दुआ करेंगे.
- मजहबी जानकारों की माने तो अल्लाह इस मुबारक महीने में अपने बंदों को तौबा करने पर माफ कर देता है. रोजे की जजा यानी इनाम वह खुद अता करता है. रोजेदारों को चाहिए कि वह अपने नफ्स पर काबू रखें