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उन्नाव: एआरटीओ अधिकारी की सरपरस्ती में बनाए जा रहे भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में भारी वाहनों के लिए फर्जी लाइसेंस बनवाने का काम खुद एआरटीओ के अधिकारी कर रहे हैं. यहां अपने परिचितों के नाम पर ट्रेनिंग स्कूल तो खुलवाए गए हैं, लेकिन इन स्कूलों में कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती. वहीं बिना ट्रेनिंग के ही यहां के सर्टिफिकेट पर भारी वाहनों के लिए लाइसेंस जारी कर दिए जाते हैं.

भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस

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Published : Sep 25, 2019, 11:58 PM IST

उन्नाव: देश में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं ने भले ही केंद्र सरकार के माथे पर बल ला दिया हो, लेकिन उन्नाव में परिवहन विभाग के अधिकारी ही लोगों को मौत का लाइसेंस बांटने का काम कर रहे हैं. यहां आरटीओ विभाग न सिर्फ भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस जारी कर रहा है, बल्कि अपने चहेतों को फर्जी मोटर ट्रेनिंग स्कूल चलाने की अनुमति भी दे रहा है. इन्हीं स्कूलों के सर्टिफिकेट के आधार पर आरटीओ अनट्रेंड लोगों को फर्जी तरीके से लाइसेंस निर्गत कर रहा है.

भारी वाहनों के फर्जी लाइसेंस.

अगर आप ट्रक या बस जैसे किसी भी भारी वाहन का ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं और आप भारी वाहन चलाने में पूरी तरह से ट्रेंड नहीं हैं तो परेशान बिल्कुल मत होइए. आपकी परेशानी का हल उन्नाव आरटीओ कार्यालय के पास है, क्योंकि उन्नाव का आरटीओ विभाग अनट्रेंड ड्राइवरों को भी भारी वाहन चलाने का ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर रहा है. इसके लिए आपको सिर्फ 10 से 15 हजार रुपये खर्च करने होंगे और आरटीओ विभाग आपको भारी वाहन चलाने के लिए लाइसेंस जारी कर देगा. इसके बाद आप अनट्रेंड होने के बावजूद भी सड़कों पर बस या ट्रक जैसे भारी वाहन लेकर फर्राटा भर सकते हैं. इतना ही नहीं अगर अनट्रेंड होने की वजह से आपसे कोई सड़क हादसा हो भी जाए तो डरने की जरूरत नहीं, क्योकि उन्नाव के आरटीओ विभाग ने आपको ड्राइविंग लाइसेंस जो दे रखा है. इससे आपकी आसानी से जमानत भी हो जाएगी.

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बता दें कि सड़कों पर लोगों को मौत बांटने का सर्टिफिकेट बांट रहे उन्नाव के एआरटीओ अधिकारी अनिल त्रिपाठी ने अपने चहेतों के नाम पर तीन मोटर ट्रेनिंग स्कूल खुलवा रखे हैं, जो सिर्फ कागजों पर चल रहे हैं. इनका न तो कोई जमीनी ठिकाना है और न ही कागजों पर दर्ज वाहनों से कोई ट्रेनिंग दी जाती है. ये ट्रेनिंग स्कूल किसी को भी वाहन चलाने का ट्रेंड सर्टिफिकेट 5 से 10 हजार रुपये में उपलब्ध करा देते हैं. उसी सर्टिफिकेट के आधार पर एआरटीओ अधिकारी भारी वाहन चलाने का लाइसेंस निर्गत कर देते हैं.

वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एआरटीओ अधिकारी अनिल त्रिपाठी से जब ईटीवी भारत ने सवाल पूछना शुरू किया तो उनकी बोलती बंद हो गई और वह ट्रेनिंग स्कूलों की संख्या तक नहीं बता पाए. वहीं अपनी पोल खुलता देख उन्होंने जांच करने की खोखली दलील तक पेश कर डाली.

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