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Reality Check: उन्नाव के रैन बसेरों में सोना है तो बिस्तर साथ लाएं

यूपी के उन्नाव में प्रशासन के निर्देश पर बनवाए गए रैन बसेरों की स्थिति दयनीय है. यहां मरीजों के तीमारदारों को सुविधाओं के नाम पर सिर्फ बिल्डिंग ही मिली है. तीमारदार ठंड से बचने के लिए कंबल अपने साथ लेकर आते हैं.

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ईटीवी भारत की टीम ने किया रियलिटी चेक.

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Published : Jan 2, 2020, 11:21 AM IST

उन्नाव: पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद मैदानी इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है. सरकार ने सेल्टर होम्स में पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही जिला प्रशासन ने जगह-जगह अलाव जलाने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. ईटीवी भारत की टीम ने जनपद के रैन बसेरों का रियलिटी चेक करने के लिए रात में निकलकर हकीकत जानी.

ईटीवी भारत की टीम ने किया रियलिटी चेक.

ईटीवी भारत की टीम ने किया रियलिटी चेक

जब ईटीवी भारत की टीम ने रैन बसेरों की हकीकत जानी तो शहर के रैन बसेरे में सुविधाओं के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं मिली. जिला अस्पताल में बने रैन बसेरे में यहां व्यवस्थाओं के नाम पर सिर्फ बिल्डिंग ही मिली. सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए यहां एक होमगार्ड की तैनाती भी की गई थी. यहां व्यवस्थाओं की हकीकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस रैन बसेरे में व्यवस्थाएं न होने के चलते यहां रह रही दो महिलाएं किचन में रहने को मजबूर हैं. यहां एक युवक ने बताया कि यहां कंबल या रजाई की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां रहने वाले लोग खुद ही ठंड से बचने के उपाय करते हैं. इस रैन बसेरे में बिस्तर के नाम पर सिर्फ जूट के ढेर लगे मिले.

रसोईघर में लेटी मिली महिलाएं
जिला अस्पताल में बने रैनबसेरे के रसोई घर में रह रही दोनों महिलाओं ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि यहां पर कंबल भी हम ही लोग लेकर आए हैं. सिर्फ जूट का एक बिस्तर मिला है उस पर चादर हम खुद की डाले हुए हैं. उन्होंने बताया कि हम लोगों ने जब कंबल की मांग की तो किसी ने मेरी नहीं सुनी. वहीं सुरक्षा को देखते हुए हम लोग रसोईघर में लेटे हैं क्योंकि वहां पर सिर्फ पुरुषों की ही व्यवस्था है.

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