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उन्नाव: कंपोजिट घोटाले की जांच करने पहुंची ईओडब्लू की टीम - उन्नाव में कंपोजिट ग्रांट घोटाले जांच करने पहुंची टीम

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में कंपोजिट ग्रांट घोटाले की जांच करने लिए मंगलवार को ईओडब्लू की टीम पहुंची. टीम ने जिले के सभी ब्लॉक के 3-3 स्कूलों के विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष और प्रधानाध्यपकों से खरीदे गए सामानों के बारे में पूछताछ की. वहीं खंड शिक्षा अधिकारियों से खरीदारी के बिल संबंधी कागजात जमा कराए गए हैं.

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कंपोजिट घोटाले जांच करने पहुंची ईओडब्लू की टीम.

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Published : Jun 9, 2020, 11:06 PM IST

उन्नाव: शैक्षणिक सत्र 2018-19 में जिले के 3137 प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में स्टेशनरी, खेलकूद व डस्टबिन सामग्री की खरीदारी के लिए आयी कंपोजिट ग्रांट में घोटाले की जांच करने के लिए मंगलवार को जिले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की पांच सदस्यीय टीम पहुंची.

कंपोजिट घोटाले जांच करने पहुंची ईओडब्लू की टीम.

टीम ने जिले के सभी ब्लॉक के 3-3 स्कूलों के विद्यालय प्रबंध समिति अध्यक्ष और प्रधानाध्यपकों से खरीदे गए सामानों के बारे में पूछताछ की. वहीं खंड शिक्षा अधिकारियों से खरीदारी के बिल संबंधी कागजात जमा कराए गए हैं. शाखा प्रभारी निरीक्षक हसन खां ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और खरीदारी से संबंधित कागजात एकत्र किए गए हैं. कार्रवाई के बारे में शासन स्तर से बताया जाएगा.

यह है पूरा मामला

जिले में शैक्षणिक सत्र 2018-19 में 3137 प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में बच्चों के लिए खेलकूद का सामान, डस्टबिन, फिनायल, घड़ी सहित जरूरत का सामान खरीदने के लिए कंपोजिट ग्रांट दी गई थी. इसके तहत जिले को 10 करोड़ रुपये का बजट प्रदेश सरकार की ओर से जारी किया गया. सभी विद्यालयों के प्रबंध समिति अध्यक्ष और हेड मास्टरों को सामान खरीदने की जिम्मेदारी दी गई.

शिक्षा विभाग की ओर से जौनपुर की मां वैष्णों एजेंसी को स्कूलों में सामान पहुंचाने का ठेका दिया गया. एजेंसी ने 80 रुपये वाली दीवार घड़ी का 600 रुपये का बिल लगाकर भुगतान करा लिया. ऐसे ही अन्य सामानों में भी बजट की बंदरबांट की गयी.

बीएसए और डीएम हुए थे सस्पेंड
शासन से जांच शुरू हुई और घोटाले की परत खुलने लगीं. मामले में सबसे पहले तत्कालीन बीएसए बीके शर्मा को सस्पेंड कर एफआईआर दर्ज कराई गई. वहीं कमिश्नर लखनऊ मंडल मुकेश मेश्राम की जांच में डीएम उन्नाव देवेंद्र कुमार पांडेय भी दोषी पाए गए, जिन्हें सीएम योगी ने 22 फरवरी को सस्पेंड कर दिया था. अब सीएम के निर्देश पर मामले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो लखनऊ कर रहा है.

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