उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

10 साल से पांडु पर पुल का इंतजार, बांस-बल्लियों के सहारे जिंदगी

By

Published : Jan 7, 2021, 10:39 PM IST

Updated : Jan 7, 2021, 11:03 PM IST

एक गांव, 12 मजरे, 10 हजार की आबादी, 10 साल से एक पुल का इंतजार, लेकिन अब तक यहां विकास की बयार नहीं पहुंची. यह गांव है उन्नाव जिले का दूली खेड़ा. 10 साल पहले आई बाढ़ में पांडु नदी का पुल बह गया. इसके बाद यह गांव पूरी तरह बाकी हिस्सों से कट गया. लोगों ने बांस-बल्लियों के सहारे जुगाड़ पर जिंदगी दौड़ानी शुरू की. देखते-देखते दशक गुजर गया, लेकिन पुल नहीं बना.

10 साल से 10 हजार लोग इसी पुल से कर रहे सफर.
10 साल से 10 हजार लोग इसी पुल से कर रहे सफर.

उन्नाव: विकास का दरिया बहा देने का दावा करने वाले नेताओं की हकीकत अगर देखनी है तो उन्नाव चले आइए. राजधानी लखनऊ से सटे जनपद उन्नाव में लोग मूलभूत जरूरतों के लिए भी तरस रहे हैं. यहां विकास के दावे तो बहुत किए गए, लेकिन तमाम सरकारें और आला अफसर यहां एक पुल न बनवा सके. 10 साल पहले आई बाढ़ में पुल के बह जाने के बाद बांस-बल्लियों के सहारे दूली खेड़ा के 12 मजरों के 10 हजार लोग बाकी दुनिया से खुद को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. सपा के बाद विकास का नारा देते हुए प्रदेश में भाजपा की सरकार आ गई, लेकिन इनकी जिंदगी के सूखे पर विकास की बौछारें नहीं पड़ीं.

पुल के निर्माण की आस देख रहे ग्रामीण.

बाढ़ में बह गया था पांडु नदी का पुल

पांडु नदी पर बने पुल का एक हिस्सा आज से करीब 10 साल पहले बाढ़ में बह गया था, जिसके बाद ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुल के निर्माण के लिए निवेदन किया. अधिकारी आए, जांच हुई, फाइलें भी बनीं, लेकिन पुल न बन सका. इसके बाद ग्रामीणों ने पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से पर बांस-बल्ली के सहारे जुगाड़ पुल बना कर आवागमन शुरू कर दिया. प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक उपेक्षा के कारण आज 10 साल के बाद भी इसी जुगाड़ पुल के सहारे लोग पैदल, साइकिल और मोटरसाइकिल लेकर निकलने को मजबूर हैं.

उन्नाव मुख्यालय जाने के लिए जाना पड़ता है फतेहपुर

इस पुल के टूट जाने के बाद ग्रामीणों को अपने घर व जनपद आने-जाने के लिए फतेहपुर जिले से होकर जाना पड़ता है. लोग रहते तो उन्नाव जिले में हैं, लेकिन तहसील मुख्यालय आने के लिए इन लोगों को करीब 15 किलोमीटर पहले फतेहपुर जिला जाना पड़ता है. उसके बाद बक्सर स्थित गंगा पुल से होकर तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं. दूली खेड़ा के 10 हजार लोगों की यह नियती बन गई है.

10 साल से 10 हजार लोग इसी पुल से कर रहे सफर.


आज भी पुल के निर्माण की आस देख रहे ग्रामीण

दूली खेड़ा गांव के रहने वाले रतीराम यादव बताते हैं कि यहां के विधायक विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दिक्षित हैं. उन लोगों के द्वारा निवेदन करने के बाद भी यह पुल नहीं बन सका है. जब से विधायक चुनाव जीते हैं तब से आज तक उनके गांव नहीं आए हैं. 10 साल से गांव इस पुल के बनने का इंतजार कर रहा है, लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं.

स्कूल-कॉलेज जाने के लिए लगाना पड़ता है 15 किलोमीटर का चक्कर

बीएससी सेकेंड ईयर में पढ़ने वाले आशीष यादव ने बताया कि स्कूल-कॉलेज जाने के लिए कई कई किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ता है. इस जुगाड़ पुल से कई लोग गिरकर घायल हो चुके हैं. कई बार यह जुगाड़ पुल टूट जाता है. फिर वही फतेहपुर होकर जाना पड़ता है. इसमें 15 किलोमीटर का चक्कर लग जाता है.

पांडु नदी के उस पार उन्नाव के दूली खेड़ा गांव का हाल.
गांव में शादियों में भी हो रही मुश्किलें

दूली खेड़ा गांव के प्रधान प्रतिनिधि श्रीकृष्ण यादव ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस पुल के टूट जाने के बाद उन्होंने कई बार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से इस पुल को बनवाने की गुजारिश की. उन्होंने बताया कि यदि किसी की तबीयत खराब होती है तो एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाती. उन्होंने एक चौंकाने वाली बात बताते हुए कहा कि इस पुल के टूटे होने से उनके गांव के लड़के-लड़कियों की शादी होने में भी खासी समस्याएं आ रही हैं. वह चाहते हैं कि यह पुल बन जाए तो उनके गांव की जो समस्या है वह काफी हद तक हल हो जाएगी.

उन्नाव के बीघापुर तहसील के दूली खेड़ा गांव के सच्चे हाल अदम गोंडवी की लिखी यह लाइनें बताती हैं.... "तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है यह आंकड़े झूठे हैं दावा किताबी है".

Last Updated : Jan 7, 2021, 11:03 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details